राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ली राज्यपालों की बैठक

रायपुर। आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर देश के समस्त राज्यपालों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक ली। बैठक में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु, राज्यपाल अनुसुईया उइके सहित अन्य राज्यों के राज्यपाल शामिल थे। वे राज्य जहां कोरोना वायरस संक्रमणों की संख्या अधिक है और जहां पर संक्रमित लोगों की मृत्यु हुई, उनसे विशेष रूप से चर्चा की गई। राष्ट्रपति श्री कोविंद ने सुझाव दिया कि समस्त राज्यपाल अपने राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति पर नजर बनाए रखें और टेस्टिंग किट और अन्य चिकित्सा उपकरण इत्यादि की कमी और स्वास्थ्य संबंधी किसी भी प्रकार की सलाह आवश्यकता के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से चर्चा कर सकते हैं। राज्यों में मुख्यमंत्री की मुख्य भूमिका है, उनसे नियमित रूप से या फोन के माध्यम से संपर्क बनाए रखें, ताकि सूचनाओं का आदान-प्रदान हो सके। उन्होंने कहा-राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति स्वयं आपसे इस संक्रमण की आपदा से उपजी परिस्थितियों की चर्चा के संबंध में संपर्क में रहेंगे, आवश्यकतानुसार आप सभी उनसे संपर्क कर सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि जिलों में रेडक्रास सोसायटी को सक्रिय किया जाए, ताकि वे स्वयंसेवकों के माध्यम से कोरोना वायरस से बचाव में सहयोग कर सके। उनके माध्यम से चिकित्सा सुविधा, गरीबों को भोजन पैकेट तैयार कर वितरित कराने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य के प्रमुख अधिकारियों की बैठक लेकर चर्चा किया जाना उपयुक्त होगा। राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालयों के लिए कहा कि समस्त कुलपति विद्यार्थियों के साथ आम जनता को जागरूक करने में मदद करें। इन सभी कार्यों में सोशल डिस्टेंसिंग का अनिवार्य रूप से पालन करें। उन्होंने विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए ऑनलाईन कोर्स प्रारंभ करने का सुझाव दिया।

राज्यपालों से चर्चा के दौरान विभिन्न राज्यों में उठाए गए कदम और सुझाव सामने आए। इनके अनुसार सेवानिवृत्त चिकित्सकों और मेडिकल पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष के छात्रों का सूची बनाकर रिकार्ड रखा जाए, जो स्वेच्छा से सेवा देना चाहे, उनसे आवश्यकतानुसार सेवा ली जाए। दैनिक वेतनभोगी, गरीब मजदूर जो किसी भी योजना में पंजीकृत नहीं है, उनके जीवनयापन के लिए भोजन एवं राशि की व्यवस्था की जानी चाहिए। जनजाति क्षेत्रों में भी इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए, मास्क इत्यादि की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। बैठक में विपरीत परिस्थितियों के लिए रेनबसेरा, धर्मशालाओं, सरकारी योजनाओं के आवासों को तथा इसी प्रकार की अन्य भवनों को तैयार रखे जाने का भी सुझाव दिया गया। बैठक में यह भी बात आई कि लॉक डाउन का अर्थ लोगों को समझ नहीं आया है और गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, इसके लिए सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें जागरूक किया जाए। लॉक डाउन सिर्फ शहरी क्षेत्र में न होकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी पालन करवाएं और वहां फैलने से रोकें। सभी धर्मों के धार्मिक गुरूओं से अपील की जाए कि वे अपने-अपने अनुयायियों को निर्देशित करें कि वे पूजा, प्रार्थना, धार्मिक उत्सव सामूहिक रूप से न करते हुए अपने-अपने घरों में ही रहकर यह कार्य करें।

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