बांग्लादेश की PM शेख हसीना बोलीं- CAA और NRC भारत का आंतरिक मामला, लेकिन……..
नई दिल्ली (बीएनएस)। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को भारत का ‘आंतरिक मामला’ बताया है। इसके साथ उन्होंने कहा है कि यह अधिनियम ‘जरूरी नहीं’ था। संसद से 11 दिसंबर को पारित सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित हिंदू, पारसी, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई समुदाय के ऐसे लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। 31 दिसंबर 2014 से पहले तक यहां आए और छह साल से देश में रह रहे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इस कानून के खिलाफ देशभर में कई जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
गल्फ न्यूज को दिए इंटरव्यू के दौरान शेख हसीना ने CAA पर कहा कि हम यह नहीं समझते कि (भारत सरकार) ने ऐसा क्यों किया। यह जरूरी नहीं था। हसीना का यह बयान बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए.के. अब्दुल मोमन बयान के एक हफ्ते बाद आया है। मोमन ने कहा था कि CAA और NRC भारत के ‘आंतरिक मुद्दे’ हैं, लेकिन चिंता व्यक्त की कि देश में किसी भी ‘अनिश्चितता’ से उसके पड़ोसियों को प्रभावित होने की संभावना होती है।
अखबार ने कहा है कि बांग्लादेश की 161 मिलियन आबादी जिसमें 10.7 प्रतिशत हिंदू और 0.6 प्रतिशत बौद्ध की है। शेख हसीना संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में हैं। उन्होंने कहा कि भारत से कोई रिवर्स माइग्रेशन का रिकॉर्ड नहीं है। नहीं, भारत से कोई रिवर्स माइग्रेशन नहीं हुआ है। लेकिन भारत के भीतर, लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हसीना ने कहा कि (फिर भी), यह एक आंतरिक मामला है।
बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) को ‘बहुत अच्छा और’ उदारकरार देते हुए शुक्रवार को कहा कि कानून में पड़ोसी देशों के स्वतंत्र मुस्लिम विचारकों, नारीवादियों और धर्मनिरपेक्ष लोगों के लिए छूट दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, यह सुनने में अच्छा लगता है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगनिस्तान में धार्मिक कारण से उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलेगी। यह बहुत अच्छा विचार है और बहुत ही उदार है।निर्वासित जीवन बिता रही लेखिका ने कहा, लेकिन मैं मानती हूं कि मुस्लिम समुदाय में मुझ जैसे लोग, स्वतंत्र विचारक और नास्तिक हैं जिनका उत्पीड़न पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में किया जाता है और उन्हें भारत में रहने का अधिकार मिलना चाहिए।
अपनी बात को पुष्ट करने के लिए नसरीन ने मुस्लिम नास्तिक ब्लॉगर का उदाहरण दिया जिनकी हत्या कुछ साल पहले बांग्लादेश में संदिग्ध इस्लामिक आतंकवादियों ने कर दी थी। उन्होंने कहा, इनमें से कई ब्लॉगर अपनी जान बचाने के लिए यूरोप या अमेरिका चले गए, क्यों नहीं वे भारत आए? भारत को आज मुस्लिम समुदाय से और स्वतंत्र विचारकों, धर्मनिरपेक्षवादियों, नारीवादियों की जरूरत है।