नक्सल प्रभावित नारायणपुर: तमाम चुनौतियों के बावजूद जिले में बदलाव की बयार
नारायणपुर(बीएनएस)। तमाम चुनौतियों के बावजूद नारायणपुर जिले में सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है, बुनियादी ढांचा भी खड़़ा हुआ है। या यह कहिए कि जिले में बदलाव की बयार आयी है। सड़क, पुल-पुलिया और दूरसंचार के साधन पहले की अपेक्षा बढ़े हैं और लोगों का आत्मविश्वास भी। बदलाव की प्रक्रिया निरंतर जारी है। इसके अलावा अब ग्रामीण क्षेत्रों में पहले से बेहतर नेट कनेक्टिविटी, बैंकिग सुविधाओं के विस्तार जैसे महत्वपूर्ण कार्यो के अलावा स्व सहायता समूूहों के सदस्यों और युवाओं कोे रोजगार से जोड़ने के लिए विभिन्न ईलाकों में उनके कौशल वृद्धि के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दूरस्थ अंचलों पे पाॅइट सखी मित्र के माध्यम से चलता-फिरता बैंक संचालित हो रहा है। अब घर-घर बैंक सुविधा पहुंचा रही है, राज्य सरकार। साथ ही उन्हें आर्थिक गतिविधियों के लिए बैकिंग सुविधाओं का लाभ दिलाने के लिए पहल की जा रही है। जिले में इन्टरनेट की सुविधाओं का विस्तार करते हुए 42 ग्राम पंचायतों तथा पुलिस थानों को हाईटैक बनाया गया है। मुद्रा ऋण योजना के तहत करीब 400 लोगों को ऋण उपलब्ध कराया गया है।
जिले के अंदरूनी इलाकों की महिलाओं के साथ ही जिला मुख्यालय के आसपास बसे लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा बैंकों के साथ बेहतर तालमेल मिलाकर कार्य किया गया है। करीब तीन हजार महिलाओं को रोजगार प्राप्त हुआ। वही उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। स्व सहायता समूह की महिलाएं सहकारिता के क्षेत्र में मजबूती से खड़ी होकर आत्मनिर्भर होने लगी हैं।
पत्रकार बंधु बेहद कठिन परिस्थितयों में जिले के बेहद संवेदनशील क्षेत्रों में जाकर बेहतर रिपोटिंग कर रहे है, यह उनका सहासिक पूर्ण कार्य है। उनके इस कार्य से राज्य और जिला प्रशासन को भी लोगों कि दिक्कतों-समस्याओं के बारे में समय-समय पर जानकारी मिलती रहती है। प्रशासन भी इलाके के ग्रामीणजनों की दिक्कतों और समस्याओं को दूर करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसके लिए जनसमस्या निवारण शिविर, ‘‘आमचो कलेक्टर आमचो गांव‘‘ द्वारा और अन्य शिविरों और कार्यक्रमों के माध्यम से उनकी समस्याओं को हल कर रहा है।
नारायणपुर के पहुंच विहीन क्षेत्रों में गत वर्षो में सड़क, पुल-पुलियों, स्कूल, आंगनबाड़ी केन्द्र, स्वास्थ्य, शिक्षा, अधोसरंचना, कौशल उन्नयन, कृषि-सिंचाई, विद्युतीकरण इत्यादि कई बेहतर कार्य हुए हंै। अबूझमाड़ क्षेत्र में लगभग 95 प्रतिशत से अधिक गांवों में सौर ऊर्जा के जरिए घरों में बिजली पहुंचायी गयी है। शेष गांवों में विद्युतीकरण किया जा रहा है। सौभाग्य योजना के अन्तर्गत भी बिजली पहुंचाई जा रही है।
क्षेत्र के अन्तिम व्यक्ति तक चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाने की योजना बनी है। एम्बुलेंस 108-102 के साथ ही मोटर साइकिल एम्बुलेंस की सेवा भी शुरू है। इसके साथ ही संस्थागत प्रसव के लिए व्यवस्था की गई है। हर व्यक्ति तक बेहतर चिकित्सा सुविधा पहुंचे इसके लिए राज्य और जिला प्रशासन और बेहतर कर रहा है। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान और सघन मिशन इन्द्रधनुष टीकाकरण का भी शत-प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया गया है। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना और मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के भी कारगर परिणाम सामने आने लगे है। कुपोषण में अब गिरावट दिखने लगी है। पिछले ढाई माह में सही पोषण से जिले के पोषण पुनर्वास केन्द्रों में 150 बच्चें सुपोषित हुए। सरकार की पहल से सुपोषण रथ, कला जत्था के माध्यम से भी लोगों को जागरूक और पौष्टिक आहार के साथ दूध, खिचड़ी भी दिया जा रहा है।
जिले के विकास के लिए बनाई गई कार्ययोजना के कारण ही नारायणपुर जिले ने देश के 115 आकांक्षी जिलों में ऐसी छलांग लगाई कि वह वित्तीय समावेश और कौशल विकास के क्षेत्र में देश के आकांक्षी जिलो में पहले पायदान पर पहुंच गया। नीति आयोग द्वारा नवम्बर 2019 के लिए जारी डेटा रैकिंग में नारायणपुर सहित छत्तीसगढ़ के तीन जिले टांप पांच जिलों में शामिल हुआ। कलेक्टर पी.एस. एल्मा द्वारा शिक्षा की बेहतरी के लिए विगत छह माह की कार्य योजना बनाकर कार्य का ही परिणाम रहा कि शिक्षा के क्षेत्र में जमीनी स्तर पर कार्य किए जा रहे है जिसका परिणाम सामने आ रहा है। वहीं नक्सलियों द्वारा ध्वस्त किये गये स्कूलों को पुनः सजाया-संवारा गया है। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्कूलों में शिक्षकों द्वारा खेल-खेल में अध्यापन कराया जा रहा है।
* सहायक संचालक
* शशिरत्न पाराशर