संविधान दिवस: प्रधानमंत्री मोदी ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को सिर्फ चर्चा का विषय नहीं देश की जरूरत बताया
न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को संविधान दिवस के अवसर पर केवड़िया में जारी एक कार्यक्रम को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में पीठासीन अधिकारियों से संविधान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अभिनव उपाय करने को कहा। पीएम मोदी ने इस दौरान मुंबई हमले में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि हम वो जख्म कभी नहीं भूल सकते हैं। इसी के साथ पीएम मोदी ने एक बार फिर देश का ध्यान वन नेशन-वन इलेक्शन की ओर खींचा और इसे वक्त की जरूरत बताया। पीएम ने कहा कि यह दिन गांधी जी के प्रेरक विचारों और सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिबद्धता को याद करने का है। उन्होंने सन् 2008 में आज ही के दिन हुए मुंबई आतंकी हमले में मारे गए लोगों को भी याद किया। उन्होंने सुरक्षाबलों के शहीदों के प्रति भी श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि आज भारत एक नये प्रकार के आतंकवाद से संघर्ष कर रहा है। उन्होंने सुरक्षाबलों को भी नमन किया।
Addressing the All India Presiding Officers Conference. https://t.co/vwPvZRWMff
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
आपातकाल का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि 1970 का यह प्रयास सत्ता के विकेन्द्रीकरण के प्रतिकूल था, लेकिन इसका जवाब भी संविधान के भीतर से ही मिला। संविधान में सत्ता के विकेन्द्रीकरण और उसके औचित्य की चर्चा की गई है। आपातकाल के बाद इस घटनाक्रम से सबक लेकर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका आपस में संतुलन बनाकर मजबूत हुए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इसलिए संभव हो सका, क्योंकि 130 करोड़ भारतीयों का सरकार के इन स्तंभों में भरोसा था और यही भरोसा समय के साथ और मजबूत हुआ।
आज उन सभी व्यक्तित्वों को नमन करने का दिन है, जिनके अथक प्रयासों से हमें संविधान मिला।
आज की तारीख देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले से भी जुड़ी है। अब भारत नई नीति, नई रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है।
भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे सुरक्षाबलों का मैं वंदन करता हूं। pic.twitter.com/3inFgLvnOc
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान की दृढ़ता समस्याओं से निपटने में हमारी मदद करती है। भारतीय चुनाव पद्धति के लचीलेपन और कोरोना महामारी के प्रति इसकी प्रतिक्रिया से यह साबित हुआ है। उन्होंने संसद सदस्यों की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उन्होंने हाल के समय में कोरोना के खिलाफ जंग में मदद के लिए अपने वेतन में कटौती स्वीकार कर अपना योगदान दिया।
बीते 6-7 सालों में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में सामंजस्य को और बेहतर करने का प्रयास हुआ है। ऐसे प्रयासों का सबसे बड़ा प्रभाव जनता के विश्वास पर पड़ता है।
कठिन से कठिन समय में भी जनता का विश्वास इन तीनों पर बना रहता है। यह हमने इस वैश्विक महामारी के समय भी देखा है। pic.twitter.com/5I4qPuGdYl
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने एक राष्ट्र, एक चुनाव पर विचार-विमर्श करने का आह्वान किया। उन्होंने हर स्तर पर – लोकसभा, विधानसभा अथवा स्थानीय पंचायत स्तर पर – समानांतर चुनाव कराने की बात की।उन्होंने कहा कि इसके लिए समान मतदाता सूची बनाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस काम के लिए विधायिका के क्षेत्र में डिजिटल नवाचार का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
सरदार सरोवर डैम का काम बरसों तक अटका रहा, फंसा रहा। संविधान का दुरुपयोग करने का प्रयास हुआ।
लेकिन हमें हमारे संविधान से जो ताकत मिली है, वह ऐसे हर मुश्किल कार्य को आसान बनाती है। pic.twitter.com/v2Ma8Ubkt8
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं को लंबित रखने की प्रवृत्ति के खिलाफ आगाह किया। उन्होंने सरदार सरोवर परियोजना का उदाहरण दिया, जो कई वर्षों तक लंबित रही और जिसकी वजह से गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के निवासियों को उन महत्वपूर्ण लाभों से वंचित रहना पड़ा, जो उन्हें इस बांध के अंतत: निर्मित हो जाने से प्राप्त होने वाले थे।
Know Your Customer डिजिटल सुरक्षा का अहम पहलू है।
उसी तरह KYC यानि Know Your Constitution हमारे संवैधानिक सुरक्षा कवच को भी मजबूत कर सकता है।
इसलिए संविधान के प्रति जागरूकता के लिए निरंतर अभियान भी चलाते रहना चाहिए। pic.twitter.com/gNpy12JQAS
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
श्री मोदी ने कर्तव्य पालन के महत्व पर जोर दिया और कहा कि कर्तव्य पालन को अधिकारों, गरिमा और आत्मविश्वास बढ़ाने वाले महत्वपूर्ण कारक की तरह लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा,‘हमारे संविधान की बहुत सारी विशेषताएं हैं, लेकिन उनमें से एक विशेषता कर्तव्य पालन को दिया गया महत्व है। महात्मा गांधी इसके बहुत बड़े समर्थक थे। उन्होंने पाया कि अधिकारों और कर्तव्यों के बीच बहुत निकट संबंध है। उन्होंने महसूस किया कि जब हम अपना कर्तव्य पालन करते हैं, तो अधिकार खुद-ब-खुद हमें मिल जाते हैं।’
हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके।
हम भारत के लोगों ने यह संविधान खुद को दिया है। इसलिए इसके तहत लिए गए हर फैसले, हर कानून से सामान्य नागरिक सीधा कनेक्ट महसूस करे, यह सुनिश्चित करना होगा। pic.twitter.com/gT8AW4Rqp7
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान के मूल्यों का प्रसार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह केवाईसी- नो योर कस्टमर डिजिटल सुरक्षा की कुंजी है, उसी तरह केवाईसी – नो योर कांस्टिट्यूशन, संवैधानिक सुरक्षा की बड़ी गारंटी हो सकताहै।उन्होंने कहा कि हमारे कानूनों की भाषा बहुत सरल और आम जन के समझ में आने वाली होनी चाहिए, ताकि वे हर कानून को ठीक से समझ सकें। उन्होंने कहा कि पुराने पड़ चुके कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया भी सरल होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि एक ऐसी प्रक्रिया लागू की जाए, जिसमें जैसे ही हम किसी पुराने कानून में सुधार करें, तो पुराना कानून स्वत: ही निरस्त हो जाए।