‘दस रुपए में बिक जाओगे, तो ऐसी ही रोड पाओगे’, छत्तीसगढ़ के कोरबा में युवाओं का अनोखा विरोध प्रदर्शन

रायपुर। खराब सड़क को लेकर आपने अभी तक कई तरह के विरोध प्रदर्शन देखे होंगे। कहीं कोई सड़क में पौधे लगा देता तो कभी कुछ और करने लगता है। लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में कुछ युवाओं ने वहां पर खराब सड़कों को लेकर प्रोटेस्ट किया, वह हर किसी का ध्यान खींच रहा है। यह युवा बैनर पोस्टर लेकर एक खस्ताहाल सड़क के पास खड़े हैं। साथ ही बड़े सुरीले अंदाज में गा रहे हैं, “साड़ी, रुपए में बिक जाओगे तो ऐसा ही रोड पाओगे।” जिस सड़क पर यह युवा प्रदर्शन कर रहे हैं, उसमें तमाम गड्ढे बने हुए हैं और उनमें पानी भरा है। सड़क से गुजर रहे वाहन सवारों की हालत देखकर भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह सड़क किस हद तक बदहाल है।
अद्भुत प्रदर्शन! कोरबा में युवा का समूह मतदाताओं को अहसास दिला रहा है अपनी मुसीबतों के लिये थोड़ा दोष हमारा भी है! साड़ी, रूपये में बिक जाओगे ऐसे ही रोड पाओगे @ndtvindia @ndtv pic.twitter.com/D4Yu2smKmu
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) August 3, 2021
विरोध प्रदर्शन के दौरान सड़क से गुजर रहे लोग इन युवाओं को देखकर मुस्कुरा भी रहे हैं। वहीं प्रदर्शन कर रहे युवाओं के मुताबिक उनका मकसद लोगों को इस बात का एहसास दिलाना है कि इस हालत के लिए वो खुद जिम्मेदार हैं। अगले कुछ दिन में यह युवा शहर की अन्य बदहाल सड़कों पर भी ऐसे ही प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। युवाओं की टोली यह प्रदर्शन बुधवारी बाजार से घंटाघर निहारिका जाने वाली पर कर रही थी। इन युवाओं ने हाथों में स्लोगन लिखे बैनर पकड़ रखा है। साथ ही बाकायदा माइक और लाउडस्पीकर पर गाना गाते हुए लोगों ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। जन संगठन के विशाल केलकर के मुताबिक हम लोग कोरबा के रहने वाले हैं। पिछले पांच-छह साल से हम इस शहर के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालत यह है कि यहां की सड़कों पर चलना मुहाल हो गया है। जब कोई रास्ता नहीं मिला तो हमने यह तरीका अपनाया है।
प्रदर्शन कर रहे युवाओं की टोली ने अपने हाथ में तरह-तरह के स्लोगन लिखी तख्तियां पकड़ रखी हैं। एक तख्ती पर लिखा है, “मुस्कुराइए, आपने कोरबा को बर्बाद कर दिया है।” वहीं एक अन्य युवा ने जो तख्ती पकड़ रखी है, उस पर लिखा है, “10 रुपए का मुर्गा खाओगे तो ऐसे ही मुर्गा बन जाओगे।” बता दें कि कोरबा में सड़कों की हालत बहुत ही ज्यादा बदहाल है। इनकी मरम्मत के नाम पर प्रशासन सिर्फ खानपूर्ति करता है। कुछ ही दिन के बाद यह सड़कें फिर से राहगीरों के लिए मुसीबत का सबब बन जाती हैं।