संविधान दिवस का विपक्ष ने किया बहिष्कार, PM मोदी ने जमकर किया पलटवार, कहा- परिवारिक पार्टियां देश के लिए खतरा
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नई दिल्ली। संविधान दिवस के अवसर पर संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला शामिल हुए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26/11 हमलों में शहीद हुए बलिदानियों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने कहा कि आज 26/11 हमारे लिए एक ऐसा दुखद दिवस है, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया। देश के वीर जवानों ने आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया। आज मैं उन बलिदानियों को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।
इसके साथ ही मोदी ने विपक्ष पर भी जबरदस्त तरीके से निशाना साधा। मोदी ने कहा कि भारत एक ऐसे संकट की ओर बढ़ रहा है, जो संविधान को समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि पारिवारिक पार्टियां लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों के लिए चिंता का विषय है। मोदी ने कहा कि जब सदन में इस विषय पर मैं 2015 में बोल रहा था, बाबा साहेब अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर इस कार्य की घोषणा करते समय तब भी विरोध आज नहीं हो रहा है उस दिन भी हुआ था, कि 26 नवंबर कहां से ले आए, क्यों कर रहे हो, क्या जरूरत थी। उन्होंने कहा कि संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है, संविधान की एक-एक धारा को भी चोट पहुंची है, जब राजनीतिक दल अपने आप में अपना लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो देते हैं। जो दल स्वयं लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं।
Addressing the programme to mark Constitution Day in Central Hall. https://t.co/xmMbNn6zPV
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2021
प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में आधिकारों को लिए लड़ते हुए भी, कर्तव्यों के लिए तैयार करने की कोशिश की थी। अच्छा होता अगर देश के आजाद होने के बाद कर्तव्य पर बल दिया गया होता। महात्मा गांधी जी ने जो कर्तव्य के बीज बोए थे, आजादी के बाद वो वट वृक्ष बन जाने चाहिए थे। लेकिन दुर्भाग्य से शासन व्यवस्था ऐसी बनी कि उसने अधिकार, अधिकार की बाते करके लोगों को एक अवस्था में रखा कि ‘हम हैं तो आपके अधिकार पूरे होंगे’। वहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भारतीय संविधान मात्र क़ानूनी मार्गदर्शन की व्यवस्था तक ही सीमित नहीं है बल्कि सामाजिक आर्थिक परिवर्तन का दस्तावेज भी है। संविधान का निर्माण करने वाले महान संविधान मनुष्यों को मैं नमन करता हूं।