प्रधानमंत्री मोदी ने ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ का किया अनावरण, कहा- विश्व को भारत ने मानवता का संदेश दिया
न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को जैनाचार्य विजय वल्लभ सुरिश्वर जी महाराज की 151वीं जयंती समारोह के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उनकी प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ का अनावरण किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने संतों से आत्मनिर्भर भारत के लिए वोकल फॉर लोकल के संदेश को जन-जन तक प्रसारित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार आजादी के आंदोलन की पीठिका भक्ति आंदोलन से शुरू हुई, वैसे ही आत्मनिर्भर भारत की पीठिका हमारे संत-महंत-आचार्य तैयार कर सकते हैं।
A tribute to Jainacharya Shree Vijay Vallabh Surishwer Ji Maharaj. https://t.co/3I8Jzc1Mud
— Narendra Modi (@narendramodi) November 16, 2020
पीएम मोदी ने कहा, “भारत ने हमेशा पूरे विश्व को, मानवता को, शांति, अहिंसा और बंधुत्व का मार्ग दिखाया है। ये वो संदेश हैं जिनकी प्रेरणा विश्व को भारत से मिलती है। इसी मार्गदर्शन के लिए दुनिया आज एक बार फिर भारत की ओर देख रही है। मुझे विश्वास है कि ये ‘स्टेचू ऑफ पीस’, विश्व में शांति, अहिंसा और सेवा का एक प्रेरणा स्रोत बनेगी।”
भारत ने हमेशा पूरे विश्व और मानवता को शांति, अहिंसा एवं बंधुत्व का मार्ग दिखाया है। इसी मार्गदर्शन के लिए दुनिया आज एक बार फिर भारत की ओर देख रही है।
मुझे विश्वास है कि यह ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ विश्व में शांति, अहिंसा और सेवा का एक प्रेरणास्रोत बनेगी। pic.twitter.com/dEp88LbAyf
— Narendra Modi (@narendramodi) November 16, 2020
पीएम मोदी ने कहा कि भारत का इतिहास आप देखें तो आप महसूस करेंगे, जब भी भारत को आंतरिक प्रकाश की जरूरत हुई है, संत परंपरा से कोई न कोई सूर्य उदय हुआ है। कोई न कोई बड़ा संत हर कालखंड में हमारे देश में रहा है, जिसने उस कालखंड को देखते हुए समाज को दिशा दी है। आचार्य विजय वल्लभ जी ऐसे ही संत थे।
सेवा, शिक्षा और आत्मनिर्भरता, ये विषय आचार्य विजयवल्लभ जी के हृदय के सबसे करीब थे।
उनके इसी सामाजिक दर्शन से प्रेरित होकर आज उनकी परंपरा से कितने ही युवा समाजसेवा के लिए जुड़ रहे हैं, सेवा का संकल्प ले रहे हैं। pic.twitter.com/hvVSYMPy47
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महापुरुषों और संतों का विचार इसलिए अमर होता है, क्योंकि वो जो बताते हैं, वही अपने जीवन में जीते हैं। आचार्य विजय वल्लभ जी कहते थे कि साधु, महात्माओं का कर्तव्य है कि वो अज्ञान, कलह, बेगारी, आलस, व्यसन और समाज के बुरे रीति रिवाजों को दूर करने के लिए प्रयत्न करें।
कोरोना महामारी का कठिन समय हमारे सेवाभाव और हमारी एकजुटता के लिए कसौटी की तरह रहा है, लेकिन मुझे संतोष है कि देश इस कसौटी पर खरा उतर रहा है।
देश ने गरीब कल्याण की भावना को न केवल जीवंत रखा, बल्कि दुनिया के सामने एक उदाहरण भी पेश किया है। pic.twitter.com/D8YaWVn9eu
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पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आचार्य विजयवल्लभ जी का जीवन हर जीव के लिए दया, करुणा और प्रेम से ओत-प्रोत था। उनके आशीर्वाद से आज जीवदया के लिए पक्षी हॉस्पिटल और अनेक गौशालाएं देश में चल रहीं हैं, ये कोई सामान्य संस्थान नहीं हैं, ये भारत की भावना के अनुष्ठान हैं, ये भारत और भारतीय मूल्यों की पहचान हैं।
जिस प्रकार आजादी के आंदोलन की पीठिका भक्ति आंदोलन से शुरू हुई, वैसे ही आत्मनिर्भर भारत की पीठिका हमारे संत-महंत-आचार्य तैयार कर सकते हैं।
हर व्यक्ति तक वोकल फॉर लोकल का संदेश पहुंचते रहना चाहिए। मैं संतों-महापुरुषों से विनम्र निवेदन करता हूं कि आइए, हम इसके लिए आगे बढ़ें। pic.twitter.com/2i0YuLvWgU
— Narendra Modi (@narendramodi) November 16, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, सौ सालों से अधिक की इस यात्रा में कितने ही प्रतिभाशाली युवा इन संस्थानों से निकले हैं। कितने ही उद्योगपतियों, न्यायाधीशों, डॉक्टर्स, और इंजीनियर्स ने इन संस्थानों से निकलकर देश के लिए अभूतपूर्व योगदान किया है। स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में इन संस्थानों ने जो योगदान दिया है, देश आज उसका ऋणी है। उन्होंने उस कठिन समय में भी स्त्री शिक्षा की अलख जगाई। अनेक बालिकाश्रम स्थापित करवाए, और महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ा।