पीएम मोदी-राष्ट्रपति बाइडेन मुलाकात, व्हाइट हाउस में दोनों नेताओं के बीच दिखी शानदार केमिस्ट्री, बोले- हम एक नया अध्याय देख रहे हैं

न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की। व्हाइट हाउस पहुंचते ही राष्ट्रपति बाइडेन ने प्रधानमंत्री मोदी का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यभार संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी की उनसे ये पहली मुलाकात थी, लेकिन पहली मुलाकात में ही दोनों नेताओं के बीच जबरदस्त केमिस्ट्री देखने को मिली।

प्रधानमंत्री मोदी के कार से उतरकर व्हाइट हाउस में दाखिल होते ही अमेरिकी राष्ट्रपति उनका स्वागत करते हुए कहा कि आपका इंतजार कर रहा था। गर्मजोशी के मिलने के बाज दोनों नेताओं ने काफी देर तक एक-दूसरे का हाथ पकड़े रखा। बातों-बातों में हंसी-ठिठोली के बीच राष्ट्रपति बाइडेन प्रधानमंत्री मोदी को कुर्सी तक ले गए और हंसी-हंसी में ये कहा कि ये मेरी उस समय की कुर्सी है, जिस पर मैं उपराष्ट्रपति के तौर पर बैठता था। अब आप बैठिए मैं राष्ट्रपति बन गया हूं।

बैठक के दौरान कई ऐसे मौके आए जब लोगों को ठहाके लगाने का मौका मिला। बताया जाता है कि दोनों नेताओं के बीच इस शानदार बॉन्डिंग के कारण एक घंटे के लिए निर्धारित बैठक करीब डेढ़ घंटे तक चली और राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि अगली बार जब वे मिलेंगे, तो इसे 2 दिनों से अधिक के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए। द्विपक्षीय बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने कोविड-19, जलवायु परिवर्तन, व्यापार और हिंद-प्रशांत समेत प्राथमिकता वाले कई मुद्दों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण है। हम इस सदी के तीसरे दशक की शुरुआत में मिल रहे हैं। भारत और अमेरिका के बीच और भी मजबूत दोस्ती के बीज बोए गए हैं। व्हाइट हाउस में शानदार स्वागत के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘राष्ट्रपति जी, सबसे पहले तो मैं मैत्रीपूर्ण और गर्मजोशी भरा हम सबका भारतीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करने के लिए मैं आपका ह्रदय से बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं। 2016 में, और 2014 में भी मुझे आपसे विस्तार से बात करने के मौका मिला था। और उस समय आपने भारत-अमेरिका के संबंधों का आपका जो विजन है, जिसको आपने शब्दबद्ध किया था वो वाकई बहुत ही प्रेरक था और आज आप राष्ट्रपति के रूप में उस विजन को आगे बढ़ाने के लिए जो पुरुषार्थ कर रहे हैं, प्रयास कर रहे हैं इसका मैं स्वागत करता हूं।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज की हमारी द्विपक्षीय वार्ता है, ये दशक 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक का ये पहला वर्ष, मैं पुरे-पूरे दशक की तरफ देख रहा हूं कि आपके नेतृत्व में जो बीज हम बोयेंगे। इस पूरा दशक हमारी दृष्टि से बहुत ही भारत और अमेरिका के सम्बन्ध में विश्व के लोकतांत्रिक देशों के लिए एक बहुत ही बदलाव वाला काल-खंड रहेगा ऐसा मेरा विश्वास है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में 5 T का जिक्र किया। ट्रेडिशन, टैलेंट, टेक्नोलॉजी, ट्रेड और ट्रस्टीशिप। उन्होंने कहा कि जब भारत और अमेरिका के संबंधों में परिवर्तन देख रहा हूं, तब मैं देख रहा हूं की ट्रेडिशन, लोकतान्त्रिक परम्पराओं और मूल्यों को लेकर के जो हम जी रहे है और जिसके प्रति हम समर्पित हैं, हम कमिटेड हैं। वो ट्रेडिशन का अपना एक महत्व है, और अधिक बढेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये दशक में talent का अपना एक महत्व है। ये talent इस दशक में बहुत ही प्रभावी भूमिका अदा करेगा और भारतीय talent अमेरिका की विकास यात्रा में पूरी तरह सहभागी होती चली जाए उसमें आपका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा driving force बन रही है technology। इस दशक में भारत और अमेरिका के रिश्तों में technology और वो भी पूरी मानवता के लिए उपयोगी हो उस दिशा में अमेरिका technology के माध्यम से बहुत बड़ी सेवा कर सकती है और एक बड़ा अवसर हमें उपलब्ध होगा। उसी प्रकार से भारत और अमेरिका के बीच trade का अपना महत्व है और इस दशक में trade के क्षेत्र में भी हम एक दूसरे के काफी पूरक हो सकते हैं। बहुत सी चीजें हैं जो अमेरिका के पास हैं वो भारत को जरुरत हैं। बहुत सी चीजें भारत के पास हैं जो अमेरिका के काम आ सकता हैं। तो trade भी इस दशक का एक बहुत बड़ा क्षेत्र रहेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति महोदय आपने अभी दो अक्टूबर महात्मा गांधी की जन्म जयंती का उल्लेख किया। महात्मा गांधी trusteeship की बात करते थे। ये दशक उस trusteeship के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। महात्मा गांधी हमेशा इस बात की वकालत करते थे की प्लानेट के हम trustee हैं और हमने हमारी आने वाली पीढीयों को एक trustee के रूप में ये प्लानेट को हमने सुपुर्द करना होगा। और ये trusteeship की भावना ही भारत और अमेरिका के बीच के संबंधों में एक बहुत अहमियत रखेगा। और महात्मा गांधी के आदर्शों की पूर्ति के लिए ये trusteeship का सिद्धांत जो प्लानेट के लिए, हर नागरिक की जिम्मेवारी विश्व के लिए बनती जा रही है।

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