महाराष्ट्र सरकार ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी को दिया मात्र 10 मिनट में हाजिर होने का नोटिस, रिपब्लिक लेगा अदालत की मदद

न्यूज़ डेस्क। महाराष्ट्र सरकार ने रिपब्लिक भारत के पत्रकार अर्नब गोस्वामी को चौथा नोटिस जारी करते हुए मात्र 10 मिनट में हाजिर होने को कहा है। समाचार चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ ने कहा है कि वह अब अदालत का रुख करने जा रहे हैं। रिपब्लिक भारत ने इसकी सूचना ट्वीट के माध्यम से दी है।
अर्नब गोस्वामी ने कहा कि यह पूरी तरह से राज्य में लोकतंत्र की प्रक्रिया की विफलता का सबूत है।
#Arnab10MinuteNotice | Shocking disregard for due process, Maha assembly serves 4th notice to Arnab expecting him to appear in 10 mins. Republic will approach the courts.
Tune in to watch and share your views using the hashtag – https://t.co/RZHKU3wOei
— Republic (@republic) October 16, 2020
रिपब्लिक TV ने खबर को आज (अक्टूबर 16, 2020) दोपहर 2:50 बजे प्रकाशित किया। अर्नब गोस्वामी को महाराष्ट्र विधान सभा से नोटिस मिला, जिसने कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से दोपहर 3:00 बजे पेश होने के लिए कहा था। राज्य सरकार ने अर्नब गोस्वामी को विधानसभा में उपस्थित होने के लिए केवल 10 मिनट दिए, और चेतावनी दी कि यदि वह ऐसा नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा सकती है।
अर्नब गोस्वामी को महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा पहला नोटिस 16 सितंबर को विशेषाधिकार के उल्लंघन के सम्बन्ध में दिया गया था। महाराष्ट्र विधायिका सचिवालय ने पहले 16 सितंबर को अर्नब गोस्वामी से उद्धव ठाकरे और शरद पवार के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणियों के लिए राज्य विधानमंडल के दो दिवसीय मानसून सत्र के दौरान उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर स्पष्टीकरण माँगा था।
सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की कवरेज के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अन्य मंत्रियों को जिस तरह से रिपब्लिक TV के प्रमुख अर्नब के हवाले से पेश किया गया, उसे लेकर शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक द्वारा विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया गया था।
विधानसभा ने आरोप लगाया कि उन्हें अर्नब की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, इसके बाद अर्नब गोस्वामी को एक दूसरा नोटिस दिया गया और 20 अक्टूबर तक जवाब माँगा गया। गोस्वामी को एक तीसरा नोटिस दिया गया था, जिसमें महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय ने रिपब्लिक TV के प्रमुख अर्नब गोस्वामी को नोटिस जारी किया था ,यह स्पीकर की अनुमति के बिना सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा की कार्यवाही की एक प्रति प्रस्तुत करने के लिए विशेषाधिकार हनन के सम्बन्ध में था। सचिवालय ने बुधवार को एक बयान में कहा कि 13 अक्टूबर को यह नोटिस दिया गया था और 15 अक्टूबर तक गोस्वामी से लिखित स्पष्टीकरण माँगा गया था।