लेडी कॉन्स्टेबल ने 3 महीने में पूरी कर दी कमिश्नर की कठिन शर्त, मिला आउट ऑफ टर्न प्रमोशन, बनी असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर

नई दिल्ली। दिल्ली की एक लेडी कॉन्स्टेबल के काम की चारों ओर चर्चा हो रही है। इनका नाम है सीमा ढाका जो कि दिल्ली पुलिस के समयपुर बादली में हेडकॉन्स्टेबल हैं। दरअसल उन्होंने लापता बच्चों को ढूंढ़ने का जैसा बीड़ा उठा रखा है। उनके इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि सीमा बीते 3 महीने में 76 बच्चों को उनके घर तक पहुंचा चुकी है। समा के इसी अचीवमेंट की वजह से उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया है। सीमा ने खुशी जताते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ अपनी ड्यूटी निभाई। विभाग ने उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के काबिल समझा, यह उनके लिए गौरव की बात है।

दरअसल, दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने लापता बच्चों को जल्द ढूंढने के लिए एक प्रयोग किया। उन्होंने अपनी टीम के समक्ष एक शर्त रखी। इसमें कहा गया कि कोई भी कांस्टेबल या हेड कांस्टेबल एक साल के अंदर 14 साल से कम उम्र के कम से कम 50 बच्चों को खोज लेगा, तो उसे आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया जाएगा। इनमें भी 15 बच्चों की उम्र 8 साल से कम होना अनिवार्य थी। सीमा ने महज 3 महीने में 76 बच्चे तलाश लिए। इनमें 56 बच्चे ऐसे ढूंढ़ें, जिनकी उम्र 14 साल से कम थी। ये बच्चे दिल्ली के अलावा बाकी के राज्यों जैसे बिहार, बंगाल आदि में पाए गए।

दिल्ली पुलिस के PRO अनिल मित्तल ने बताया कि इस साल 3507 बच्चों की मिसिंग रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इनमें 2629 बच्चों को ट्रेस कर लिया गया। यह दिलचस्प है कि सबसे ज्यादा बच्चे कमिश्नर की शर्त के बाद ढूंढ़े गए। 2019 में 5412 बच्चों की मिसिंग रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इनमें 3336 बच्चे मिल चुके हैं।

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दिल्ली पुलिस एक बयान में कहा कि सीमा ढाका दिल्ली पुलिस की पहली पुलिस कर्मी हैं, जिन्हें प्रोत्साहन योजना के तहत लापता बच्चों को ट्रेस करने के लिए (आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन) दिया गया है।। उन्हें असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के रूप में प्रमोट किया गया है।

सीमा उत्तर प्रदेश के मूलत शामली जिले की रहने वाली हैं। उनके पिता एक किसान है। जबकि उनके पति भी दिल्ली पुलिस में तैनात हैं। दोनों का 8 साल का एक बेटा भी है। उनका कहना है कि “मुझे खुशी है कि मेरे प्रयासों को मान्यता दी गई है। यह मुझे प्रेरित करेगा, और शायद दूसरों को भी प्रोत्साहित करेगा। महामारी के दौरान मैंने जिन बच्चों का पता लगाया था, वे सभी को प्रोत्साहित करेंगे।”

सीमा ने अपने सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया कि, “चूंकि कोविड लॉकडाउन के दौरान ट्रेनें नहीं चल रही थीं, इसलिए जब मैं दिल्ली से बाहर यात्रा कर रही थी तो यह थोड़ा मुश्किल हो गया था। लॉकडाउन के कारण कुछ माता-पिता अपने अपने गांव वापस चले गए थे। इसलिए मुझे उनके पते खोजने का कोशिश काफी मशक्कत करनी पड़ी करना पड़ा। “

उन्होंने कहा, ” जब बच्चे अपने पैरेंट्स से मिले तो मुझे इससे मुझे बहुत खुशी मिली। यही नहीं कईयों ने मुझे दुआएं भी दी। आज,जब मुझे प्रमोट किया गया है तो , मेरी खुशी दोगुनी हो गई है।”
सीमा ने अपने इस कामयाबी के पीछे अपने परिवार और साथ काम करने वाले सहयोंगियों को दिया है। उनका कहना है कि मुझे मेरे काम को पूरा करने मे इन सभी लोगों का श्रेय है।”

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