किसान आंदोलन समाप्ती की घोषणा पर बोले नक़वी, सरकार ने टकराव नहीं, टॉक का रास्ता अपनाया है
नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने पिछले 1 साल से जारी अपने आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की कि किसान 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं वाले विरोध स्थलों से घर लौट जाएंगे। किसानों के इस फैसले को लेकर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बड़ा बयान दिया है। नकवी ने कहा कि इस सरकार ने टकराव का रास्ता नहीं टॉक का रास्ता अपनाया है। संवेदनशीलता के साथ बातचीत का रास्ता अपनाया है। सरकार की नीति और नियत अन्नदाताओं, कृषि के पक्ष में है। यह हर व्यक्ति समझता है, वह भी समझ रहे हैं।
वहीं, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि किसान एक साल से आंदोलन पर हैं ये किसी को भी अच्छा नहीं लग रहा था। सबकी यही राय थी कि आंदोलन समाप्त होना चाहिए और अब आंदोलन समाप्त हो रहा है। किसान भी यही चाहते थे। किसानों के साथ बातचीत लगातार जारी रहेगी, जो मुद्दें है उसे हल करने का प्रयास होगा। उन्होंने कहा कि यह न केवल मेरे लिए बल्कि हम सभी के लिए खुशी की बात है और वे सरकार के कदमों से संतुष्ट होकर घर जा रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि ये 378 दिन का जो किसान आंदोलन चला है, सबसे पहले संसद में इस्तीफा शिरोमणि अकाली दल ने दिया था। अगर हमारी बात सुन ली गई होती तो 700 लोगों की जान नहीं जाती। कांग्रेस पार्टी ने अगर विपक्ष का फर्ज़ निभाया होता तो शायद ये बिल पास ही नहीं होते।
इस सरकार ने टकराव का रास्ता नहीं टॉक का रास्ता अपनाया है। संवेदनशीलता के साथ बातचीत का रास्ता अपनाया है। सरकार की नीति और नियत अन्नदाताओं, कृषि के पक्ष में है। यह हर व्यक्ति समझता है, वह भी समझ रहे हैं: किसानों द्वारा आंदोलन समाप्त करने पर केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी pic.twitter.com/v6ZkFgilEn
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 9, 2021
किसान नेताओं ने कहा कि वे 15 जनवरी को यह देखने के लिए फिर बैठक करेंगे कि क्या सरकार ने उनकी मांगों को पूरा किया है। आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को केंद्र सरकार द्वारा हस्ताक्षरित पत्र मिलने के बाद यह घोषणा हुई है। पत्र में किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर एक समिति बनाने सहित उनकी लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की गई। एसकेएम ने बुधवार को कहा था कि वह अपनी लंबित मांगों पर केंद्र के संशोधित मसौदा प्रस्ताव को लेकर आम सहमति पर पहुंच गया है।