मैं लकी हूं मेरे माता-पिता स्पोर्ट्सपर्सन हैं, वे समझते हैं हार क्या होती है : पीवी सिंधु
![](https://onlinebharatnews.com/wp-content/uploads/2021/08/PV-Sindhu.gif)
नई दिल्ली। पीवी सिंधु की कद काठी और खेल को लेकर उनकी परवरिश में उनके माता-पिता का काफी योगदान है। माता-पिता से सिंधु को ना केवल एक एथलीट के शानदार जींस मिले बल्कि मानसिक तौर पर भी वह सपोर्ट मिला जो एक इंसान को बड़ा खिलाड़ी बनने के लिए चाहिए होता है। पीवी सिंधु का मानना है कि उनके पिता उनके लिए सबसे बड़े खेल आदर्श रहे। उनके पिता वॉलीबॉल की टीम के पूर्व खिलाड़ी थे जिनका नाम पीवी रमन्ना है।
आज सिंधु की उपलब्धियों के सामने माता पिता की खेल उपलब्धियां भले फीकी पड़ चुकी हैं लेकिन वे सिंधु के माता-पिता के तौर पर और अधिक पहचान भी पा चुके हैं। रमन्ना उस भारतीय टीम के सदस्य थे जिसने 1986 के एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीता था।
बात करते हैं पीवी सिंधु की माता विजया की जो कि वॉलीबॉल खिलाड़ी ही थीं और एक नेशनल लेवल की खिलाड़ी थीं। सिंधु के पिता रमन्ना को 2000 में अर्जुन अवार्ड भी मिल चुका है। पीवी सिंधु ने आजतक से हुई बातचीत के अनुसार बताया है, “मैं बहुत लकी हूं कि मेरे माता पिता स्पोर्ट्स पर्सन रहे हैं क्योंकि वह खेल को समझते हैं। उनको इतने सालों का अनुभव है। उनको पता है कि एक हार क्या होती है। तो इसलिए मैं उस हिसाब से बहुत भाग्यशाली हूं।”
वैसे तो सिंधु के पिता एक वॉलीबॉल खिलाड़ी थे लेकिन उन्हीं के ही कारण सिंधु का बैडमिंटन शुरू हुआ। हुआ यह था कि उनके पिता रेलवे के ग्राउंड पर खेला करते थे और यह हैदराबाद की बात है। रेलवे के मैदानों के बगल में ही बैडमिंटन फैसिलिटी भी थी और सिंधु वहां पर पहुंच जाती थी और ऐसे ही मजे के लिए बैडमिंटन खेल लिया करती थीं।
धीरे-धीरे उनको इस खेल में और आनंद आने लगा और फिर यही खेल उनका जुनून भी बन गया। यह वह खेल नहीं था जो उनके माता-पिता ने उनको शुरू करवाया था। आज सब चीजें इतिहास बन चुकी है और सिंधु के खाते में केवल ओलंपिक गोल्ड मेडल आना ही बाकी है।
वे टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश की ऐसी पहली महिला एथलीट बनी है जिन्होंने ओलंपिक में दो बार मेडल जीता है। इससे पहले वे रियो ओलंपिक 2016 में भी कमाल का प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल जीत चुकी थी।
सिंधु की उनके कोच के साथ भी जोड़ी काफी चर्चित रही। उनका कहना है कि उनके कोच पार्क टाई-चेंग काफी ज्यादा क्रेडिट के हकदार हैं। मजेदार बात यह है कि पार्क अभी भारत में ही है जहां वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए उत्साहित हैं और उसके बाद ही अपने घर दक्षिण कोरिया जाएंगे।
गौरतलब है कि भारतीय एथलीटों ने नई दिल्ली में मिलना शुरू कर दिया है। राष्ट्रपति ने भारतीय एथलीटों से बातचीत की है। जबकि 15 अगस्त के दिन रविवार को लाल किले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सभी ओलंपिक मेडलिस्ट से मुलाकात करेंगे। अपने कोच के बारे में सिंधु कहती हैं, “यह उनका सपना था कि मैं एक मेडल जीतूं। वे अभी तक घर नहीं गए हैं क्योंकि वह प्रधानमंत्री से मिलने के लिए बहुत उत्साहित हैं।”