WhatsApp के नई नीति पर सरकार हुई सख्त, CEO को 4 पन्नों का पत्र लिख कर माँगा जवाब

नई दिल्ली। व्हाट्सएप (Whatsapp) की नई प्राइवेसी पॉलिसी में यूजर्स के डेटा को फेसबुक के अन्य प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज से जोड़ने को लेकर लगातार बहस जारी है। आईटी मंत्रालय में फेसबुक के स्वामित्व वाले मैसेजिंग प्लेटफॉर्म Whatsapp की नई पॉलिसी के प्रभाव पर आंतरिक चर्चा (इंटर्नल डिस्कशंस) चल रही हैं। इस बीच, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मैसेजिंग ऐप की गोपनीयता नीति में हालिया बदलावों के बारे में व्हाट्सएप के CEO विल कैथार्ट को पत्र लिखते हुए नई नीतियों में बदलाव को वापस लेने का आदेश दिया है।

सरकारी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मोबाइल मैसेंजर ऐप के सीईओ को कथित तौर पर गोपनीयता, डेटा ट्रांसफर और शेयरिंग पॉलिसी के बारे में सरकार के सवाल का जवाब देने के लिए कहा गया है। सरकार ने व्हाट्सएप के सीईओ को चार पन्नों का पत्र लिख कर जवाब माँगा है।

भारत सरकार ने Whatsapp को मैसेजिंग ऐप की गोपनीयता नीति में बदलावों को यह कहते हुए वापस लेने के लिए कहा है कि एकतरफा बदलाव उचित और स्वीकार्य नहीं हैं। पत्र में कहा गया है, व्हाट्सएप की सेवा और गोपनीयता नीति के प्रस्तावित बदलाव ‘भारतीय नागरिकों की पसंद और स्वायत्तता के लिए निहितार्थ के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा करते हैं।’ मंत्रालय ने व्हाट्सएप को प्रस्तावित बदलावों को वापस लेने और सूचना की गोपनीयता, पसंद और डेटा सुरक्षा की स्वतंत्रता पर अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने को कहा है।

यह कहते हुए कि भारतीयों का उचित सम्मान किया जाना चाहिए, उन्होंने कहा, “व्हाट्सएप की सेवा की शर्तें और गोपनीयता में कोई भी एकतरफा बदलाव उचित और स्वीकार्य नहीं होगा।” मंत्रालय ने यूजर्स की सूचना सुरक्षा की चिंताओं को उठाया क्योंकि व्हाट्सएप की नई नीति में अन्य फेसबुक कंपनियों के साथ बिजनेस अकाउंट के यूजर्स के मेटाडेटा को साझा करने का प्रस्ताव है।

विल कैथार्ट (Will Cathcart) को कड़े शब्‍दों में लिखे गए इस पत्र में इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एंड इनफॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी मिनिस्‍ट्री ने कहा है कि पूरी दुनिया में व्‍हाट्सएप के सबसे ज्‍यादा यूजर भारत में हैं और इसकी सेवाओं के लिए यह एक बहुत बड़ा बाजार है।

मंत्रालय ने आगे व्हाट्सएप के ‘ऑल-ऑर-नथिंग’ दृष्टिकोण पर आपत्ति जताई, जो यूजर्स को नई सेवा शर्तों और गोपनीयता नीतियों को स्वीकार करने के लिए मजबूर करता है। मंत्रालय ने व्हाट्सएप से पूछा है कि वे ऐसे महत्वपूर्ण बदलाव क्यों लेकर आए हैं जब भारत की संसद पहले से ही पर्सनल डेटा संरक्षण विधेयक पर विचार कर रही है।

यह विधेयक, जो संसद के दोनों सदनों की ज्वाइंट सेलेक्ट कमिटी द्वारा विचार के एक अग्रिम चरण पर है, डेटा प्रोसेसिंग के संबंध में ‘उद्देश्य सीमा’ (purpose limitation) के सिद्धांत का दृढ़ता से पालन करता है। उद्देश्य सीमा का सीधा सा मतलब है कि कंपनियाँ केवल उसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए यूजर्स के डेटा का उपयोग कर सकती हैं, जिसके लिए उसने यूजर्स से सहमति ली है।

अन्य फेसबुक कंपनियों के साथ भारतीय यूजर्स के डेटा के इस व्यापक एकीकरण से व्हाट्सएप के लिए इस सिद्धांत का पालन करना मुश्किल हो जाएगा, अगर यह विधेयक जल्द ही कानून बन जाता है। मंत्रालय ने यूरोपीय संघ और भारत के लिए अलग गोपनीयता नीतियों पर भी आपत्ति जताई है।

पत्र में यह बताते हुए कि भारत में दुनिया में व्हाट्सएप का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता आधार है, कहा गया है कि भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए यह भेदभावपूर्ण व्यवहार व्हाट्सएप द्वारा भारतीय नागरिकों के हितों के लिए सम्मान की कमी दर्शाता है। इस संदर्भ में, सरकार व्हाट्सएप को याद दिलाती है कि भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए उसके पास एक संप्रभु अधिकार है और वह किसी भी कीमत पर उससे समझौता नहीं करेगा।

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