जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य, इंटरनेट पर घाटी के बारे में फैलाया जा रहा है झूठ, कहा- आर्टिकल 370 के हिमायतियों को लोग जूतों से मारेंगे : राज्यपाल मलिक
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक नेआज कहा कि आर्टिकल 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने के बाद राज्य में जनहानि रोकने के लिए प्रतिबंध जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों की पहचान और संस्कृति सुरक्षित रहेगी। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा गत पांच अगस्त को खत्म किए जाने के बाद मलिक ने अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राष्ट्रविरोधी ताकतों के लिए इंटरनेट एक आसान हथियार है तथा कनेक्शनों की बहाली कुछ और समय तक स्थगित रहेगी। उन्होंने स्वीकार किया कि कश्मीर घाटी में प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने पेलेट गन का इस्तेमाल किया। लोगों को चोट न पहुंचे, इसके लिए अत्यंत सावधानी बरती गई।
राज्यपाल ने संवाददाताओं से कहा कि अगले तीन महीनों में राज्य में 50 हजार नौकरियां उपलब्ध होंगी। जम्मू कश्मीर में यह सबसे बड़ा भर्ती अभियान होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र जम्मू कश्मीर पर जल्द ही कोई ‘बड़ी घोषणा करेगा। मलिक ने संवाददाताओं से कहा, ”राजनीतिक नेताओं की हिरासत को लेकर दुखी न हों, यह उनके राजनीतिक करियर में मदद करेगी।
इससे पहले आज सरकार ने दो केंद्रशासित प्रदेशों-जम्मू कश्मीर और लद्दाख- में विकास, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को देखने के लिए बुधवार को एक मंत्री समूह (GOM) का गठन किया है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख, केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएंगे। केंद्र ने गत 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का फैसला किया था।
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कश्मीर के हालात पर टिप्पणी कर फंसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर एक आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी है। श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि हमारा मुख्य फोकस जम्मू-कश्मीर की कानून व्यवस्था है, और इसमें हम सफल रहे हैं। इस दौरान मलिक ने राहुल को राजनीतिक किशोर बताते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के हिमायती को जनता जूते से मारेगी।
राज्यपाल ने कहा, ‘राहुल गांधी के लिए मैं इसलिए नहीं बोलना चाहता क्योंकि वो देश के एक प्रतिष्ठित परिवार का लड़का है। लेकिन उसने पॉलिटिकल जुवेनाइल की तरह व्यवहार किया है और उसी का नतीजा है कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की चिट्ठी में उसका बयान दर्ज है। राज्यपाल ने कहा, “हमारे लिए हरेक कश्मीरी की जान कीमती है, हम एक भी जान की हानि नहीं चाहते हैं, किसी भी नागरिक की जान नहीं गई है, कुछ लोग जो हिंसक होना चाह रहे थे वे घायल हुए है, और उन्हें भी कमर के नीचे चोट लगी है।
सरकार के सूत्रों ने बताया कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जितेंद्र सिंह और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस समूह में शामिल हैं। समूह जम्मू कश्मीर से संबंधित मुद्दों को देखेगा। सूत्रों ने कहा कि मंत्री समूह (GOM) दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में उठाए जाने वाले विभिन्न विकास, आर्थिक और सामाजिक कदमों के बारे में सुझाव देगा। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून 2019 के तहत दो केंद्रशासित प्रदेश-जम्मू कश्मीर और लद्दाख-31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएंगे। संसद ने इस महीने कानून को मंजूरी दी थी। सूत्रों ने बताया कि जीओएम की पहली बैठक सितंबर के पहले सप्ताह में होगी।