सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, कांग्रेस से पूछा, एक पार्टी किसी देश के साथ समझौता कैसे कर सकती है?
न्यूज़ डेक्स। सोनिया गांधी की नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुए समझौते पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठा दिया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस SA बोबडे ने कहा कि चीन के साथ कोई राजनीतिक पार्टी किसी ‘एमओयू’ पर हस्ताक्षर कैसे कर सकती है? कोर्ट ने कहा कि किसी विदेशी सरकार ने एक राजनीतिक पार्टी के साथ कोई करार किया हो, यह बात उसने कभी नहीं सुनी। कांग्रेस पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन (CPC) के बीच सात अगस्त, 2008 को एक MOU पर दस्तखत हुआ। गलवान घाटी में चीन के साथ झड़प के बाद कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुए MOU की बात सामने आई थी। इस पर देश में काफी होहल्ला हुआ। जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले हाईकोर्ट के पास ले जाने को कहा है।
गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बीच इस खुलासा से सनसनी फैल गई थी कि कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच एमओयू के बाद राजीव गांधी फाउंडेशन को दान के नाम पर चीन से काफी ज्यादा वित्तीय मदद मिली थी।
राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन, जाकिर हुसैन के साथ फरार मेहुल चोकसी से भी मिला था दान
राजीव गांधी फाउंडेशन को लेकर हाल ही में एक बड़ा खुलासा हुआ। भारत स्थित चीनी दूतावास, चीन सरकार, जाकिर हुसैन, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF), मंत्रालय, सार्वजनिक उपक्रमों के साथ-साथ करोंड़ों रुपये के घोटाले में फरार मेहुल चोकसी ने भी राजीव गांधी फाउंडेशन को दान दिया था। पंजाब नेशनल बैंक को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगाकर देश से फरार हुए हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी ने राजीव गांधी फाउंडेशन को ये दान अपनी कंपनी नवराज एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के जरिए दिया था। चोकसी ने एंटिगुआ और बारबुडा की नागरिकता ले रखी है। चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी 13,500 करोड़ रुपये के पीएनबी धोखाधड़ी मामले में मुख्य आरोपी है।
इसका खुलासा करते हुए टाइम्स नाउ ने यह भी कहा कि चीन सरकार की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा वित्त पोषित चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रेंडली कॉन्टैक्ट (CAIFC) ने भी राजीव गांधी फाउंडेशन को वित्तीय सहायता दी थी। एफबीआई CAIFC पर नजर रख रहा था और यूएस-चीन इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन की एक रिपोर्ट में अमेरिकी कांग्रेस में कहा गया था कि वह विदेशों में जासूसी गतिविधियों में शामिल था।
7 मंत्रालय और 11 पीएसयू ने भी दिए दान
ऑपइंडिया के खबर के अनुसार कई सरकारी उपक्रमों ने भी राजीव गांधी फाउंडेशन में दान किया था। इनमें गृह मंत्रालय समेत 7 मंत्रालय और 11 बड़े सार्वजानिक उपक्रम भी शामिल थे। यह सब दान तब किए गए जब देश में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उस समय यूपीए की चेयरपर्सन थीं।
दान देने वाले मंत्रालय और सरकारी विभाग-
- गृह मंत्रालय
- प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय, मानव संसाधन मंत्रालय
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय
- पर्यावरण और वन मंत्रालय
- लघु उद्योग मंत्रालय
- राष्ट्रीय स्वरोजगार मिशन, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा एक परियोजना
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा सबला
दान देने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम
- एलआईसी
- सेल
- गेल (इंडिया) लिमिटेड
- ऑयल इंडिया लिमिटेड
- ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र
- आवास और शहरी विकास निगम लिमिटेड
- ओएनजीसी
- आईडीबीआई बैंक
- भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मिला दान
UPA सरकार के दौरान प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को दिए गए दान के खुलासे ने भी कांग्रेस के चेहरे से नकाब हटा दिया। कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) का गलत इस्तेमाल किया। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा दान किया गया। यह पैसा उस समय दान किया गया, जब सोनिया गांधी PMNRF के बोर्ड में भी थीं और RGF की अध्यक्ष भी थीं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, ‘संकट में लोगों की मदद करने के लिए बना PMNRF, UPA के कार्यकाल में राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसे दान कर रहा था। PMNRF बोर्ड में कौन बैठा? सोनिया गांधी। राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्षता कौन करता है? सोनिया गांधी। यह पूरी तरह से निंदनीय है।’
PMNRF, meant to help people in distress, was donating money to Rajiv Gandhi Foundation in UPA years.
Who sat on the PMNRF board? Smt. Sonia Gandhi
Who chairs RGF? Smt. Sonia Gandhi.
Totally reprehensible, disregarding ethics, processes and not bothering about transparency. pic.twitter.com/tttDP4S6bY
— Jagat Prakash Nadda (Modi Ka Parivar) (@JPNadda) June 26, 2020
बीजेपी के आरोप का आधार क्या?
बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने 2005-2006 और 2007-2008 में राजीव गांधी फाउंडेशन को दान देने वालों की लिस्ट शेयर की, इनमें प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड का भी नाम है।
राजीव गांधी फाउंडेशन क्या है?
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए 21 जून 1991 को सोनिया गांधी ने इसकी शुरुआत की थी। सोनिया गांधी राजीव गांधी फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं। इस फाउंडेशन में सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी, बेटी प्रियंका वाड्रा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा पी. चिदंबरम ट्रस्टी हैं।
कांग्रेस ने चीन से भी ली रिश्वत
इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया था कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन ने पैसे दिए। उन्होंने पूछा था कि कांग्रेस ये बताए की ये प्रेम कैसे बढ़ गया। इनके कार्यकाल में चीन हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया। कांग्रेस स्पष्ट करे कि इस डोनेशन के लिए क्या सरकार से मंजूरी ली गई थी?
टाइम्स नाउ न्यूज चैनल के अनुसार राजीव गांधी फाउंडेशन को मिली यह वित्तीय मदद करोड़ों रुपये में है।
टाइम्स नाउ के अनुसार भारत स्थित चीनी दूतावास राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग करता रहा है। खबर के अनुसार चीन की सरकार वर्ष 2005, 2006, 2007 और 2008 में राजीव गांधी फाउंडेशन में डोनेशन करती है और इसके बाद वर्ष 2010 में एक अध्ययन जारी कर बताया जाता है कि भारत और चीन के बीच व्यापार समझौतों को बढ़ावे की जरूरत है। राजीव गांधी फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट 2005-06 में भी कहा गया है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को पीपुल रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास से फंडिंग हुई है।
राजीव गांधी फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट 2005-06 में भी कहा गया है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को पीपुल रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास से फंडिंग हुई है।
चीनी दूतावास के अनुसार, भारत में तत्कालीन चीनी राजदूत सुन युक्सी ने 10 लाख रुपए दान दिए थे। इस फंडिंग का नतीजा ये रहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने भारत और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बारे में कई स्टडी की और इसे जरूरी बताया।
कांग्रेस के थिंक-टैंक ने की FTA की पैरवी, व्यापार घाटा 33 गुणा बढ़ा
राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन के साथ FTA की पैरवी की, जिसके बाद 2003-04 और 2013-14 के बीच व्यापार घाटा 33 गुणा बढ़ गया। इसके अलावा 2008 में कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के बीच MOU का राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ संबंध को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी का चीनी कन्युनिस्ट पार्टी के साथ एमओयू, डोकलाम विवाद के समय राहुल का चोरी-छिपे चीनी दूतावास के अधिकारियों से मिलना, चीनी झड़प के दौरान सरकार-सेना पर सवाल उठाना, सरकार की जगह पार्टी से परिवार के लोगों का चीन जाना, कैलास मानसरोवर की यात्रा के दौरान चीनी अधिकारियों से गुपचुप मुलाकात करना यह सब कांग्रेस पार्टी के साथ गांधी परिवार को संदेह के घेरे में खड़ा करता है।