21वीं सदी में भारत को हम एक knowledge इकोनॉमी बनाने के लिए प्रयासरत हैं, नई शिक्षा नीति इस संकल्प को सिद्ध करने की दिशा में एक बड़ा कदम है : प्रधानमंत्री मोदी

न्यूज़ डेस्क। नई “शिक्षा नीति क्या हो, कैसी हो, उसका स्वरूप क्या हो, ये तय करने के बाद अब देश एक चरण और आगे बढ़ा है। अब पूरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर, उसके क्रियान्वयन ( Implementation ) को लेकर व्यापक विचार-विमर्श हो रहा है, संवाद हो रहा है। ये व्यापक विमर्श इसलिए जरूरी है क्योंकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, सिर्फ पढ़ाई-लिखाई के तौर-तरीकों में ही बदलाव लाने के लिए नहीं है। ये पॉलिसी 21वीं सदी के भारत के सामाजिक और आर्थिक जीवन को नई दिशा देने वाली है। यह शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत के संकल्प और सामर्थ्य को आकार देने वाली है।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नई शिक्षा नीति पर राज्यपालों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए की। कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद भी शामिल हुए।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश की आकांक्षाओं (Aspirations) को पूरा करने का बहुत महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है। शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं। लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार का दखल और प्रभाव कम से कम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति से जितना शिक्षक जुड़े होंगे, अभिभावक जुड़े होंगे, छात्र-छात्र जुड़े होंगे, उतना ही उसकी प्रासंगिकता और व्यापकता दोनों ही बढ़ती है। पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षा नीति का जो ड्राफ्ट तैयार हुआ था, उसके अलग-अलग प्वाइंट्स पर 2 लाख से लोगों ने अपने सुझाव दिए थे। यानि अभिभावक, छात्र-छात्रा, शिक्षा विद, शिक्षक, शिक्षा प्रबंधक, प्रोफेशनल्स, सभी ने इसके निर्माण में अपना योगदान दिया है। इतने मंथन के बाद अब जो अमृत निकला है, इसलिए ही अब हर ओर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वागत हो रहा है। गांव में कोई शिक्षक हो या फिर बड़े-बड़े शिक्षाविद, सबको राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अपनी शिक्षा शिक्षा नीति लग रही है।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि नई शिक्षा नीति देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक knowledge और skills, दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी। यह Studying के बजाय Learning पर फोकस करती है और पाठ्यक्रम (Curriculum) से और आगे बढ़कर गहन सोच (Critical Thinking) पर बल देती है। इस नीति में Process से ज्यादा Passion, Practicality और Performance पर बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में हर विद्यार्थी को सशक्त करने का रास्ता दिखाया गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बीते दशकों से हमारे एजुकेशन सिस्टम में जो भी कमियां हमें दिखती थीं उनको दूर करने के लिए विस्तार से इस नई शिक्षा नीति में चर्चा की गई है। जैसे लंबे समय से कहा जाता है कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्जाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दबे जा रहे हैं। इस पॉलिसी में इस समस्या को प्रभावी तरीके से संबोधित किया गया है। उन्होंने कहा, “नई शिक्षा नीति में हमारे सही मायने में बिना दबाव के, बिना अभाव और बिना प्रभाव के सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों को हमारी शिक्षा व्वयस्था का हिस्सा बनाया गया है। जैसे Streams को लेकर जो बच्चों पर दबाव रहता था, वो अब हटा दिया गया है। अब हमारे युवा अपने Interest, अपने Apptitude के हिसाब से पढ़ाई कर सकेंगे।”

श्री मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए युवाओं का स्किलफुल होना बहुत जरूरी है। छोटी उम्र से ही वोकेशनल एक्सपोजर मिलने से हमारा युवा भविष्य के लिए बेहतर तरीके से तैयार होगा। प्रैक्टिकल लर्निंग से हमारे युवा साथियों की एम्पलॉयबिलिटी देश में तो बढ़ेगी ही, ग्लोबल जॉब मार्केट में भी हमारी हिस्सेदारी ज्यादा होगी। भारत प्राचीन काल से नॉलेज का ग्लोबल सेंटर रहा है। 21वीं सदी में भी भारत को हम एक नॉलेज इकोनॉमी बनाने के लिए प्रयासरत हैं। नई शिक्षा नीति इस संकल्प को सिद्ध करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब किसी भी सिस्टम में इतने व्यापक बदलाव होते हैं, जब एक नई व्यवस्था बनाने की तरफ हम बढ़ते हैं, तो कुछ शंकाएं-आशंकाएं स्वाभाविक ही हैं। माता-पिता को लगता होगा कि अगर इतनी आज़ादी बच्चों को मिलेगी, अगर स्ट्रीम खत्म हो जाएंगी तो आगे कॉलेज में उनको दाखिला कैसे मिलेगा, उनके बच्चों को करियर का क्या होगा? प्रोफेसर्स, टीचर्स के मन में सवाल होंगे कि वो खुद को इस बदलाव के लिए तैयार कैसे कर पाएंगे? इस प्रकार का पाठयक्रम कैसे मैनेज हो पाएगा? आप सभी के पास भी अनेक सवाल होंगे, जिन पर आप चर्चा भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर सवाल के समाधान के लिए सब मिलकर काम कर रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय की तरफ से भी लगातार संवाद जारी है। राज्यों में भी हर स्टेकहोल्डर की पूरी बात, हर राय को, फीडबैक को, खुले मन से सुना जा रहा है। श्री मोदी ने कहा कि यह शिक्षा नीति, सरकार की शिक्षा नीति नहीं है। ये देश की शिक्षा नीति है। जैसे विदेश नीति देश की नीति होती है, रक्षा नीति देश की नीति होती है, वैसे ही शिक्षा नीति भी देश की ही नीति है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोई भी सिस्टम उतना ही प्रभावी और समावेशी हो सकता है, जितना बेहतर उसका गवर्नेंस मॉडल होता है। यही सोच एजुकेशन से जुड़ी गवर्नेंस को लेकर भी ये पॉलिसी दिखाती है। उन्होंने कहा कि कोशिश जा रही है कि Higher Education के हर पहलू, चाहे वो Academic हो, Technical हो, Vocational हो, हर प्रकार की शिक्षा को साइलोस से बाहर निकाला जाए। Higher Education के Regulation को भी इस पॉलिसी के जरिए, और Simplify, और Streamline किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हम सभी का यह सामूहिक दायित्व है कि NEP-2020 की इस भावना को पूरी तरह से लागू करें।

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