श्री गुरु तेग बहादुर की 400 वीं जयंती के मौके पर इतिहास रचने जा रहे हैं पीएम मोदी, सूर्यास्त के बाद लाल किले से करेंगे राष्ट्र को संबोधित
नई दिल्ली। हर साल प्रधानमंत्री लाल किले से 15 अगस्त को देश को संबोधित करते हैं। लेकिन आज पूरे देश की नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर होंगी क्योंकि पीएम मोदी एक बार फिर कुछ बड़ा करने वाले हैं। जो इतिहास में से पहले कभी नहीं हुआ है। पीएम मोदी 21 अप्रैल यानी गुरुवार के दिन सिख गुरु तेग बहादुर के 400 में प्रकाश पर्व पर रात करीब 9.15 बजे के समारोह में शामिल होंगे। इस दौरान वो लाल किले से देश को संबोधित करेंगे। यह पहला मौका होगा जब पीएम मोदी किसी धार्मिक कार्यक्रम पर लाल किले से देश को संबोधित करने जा रहे हैं। हालांकि प्रधानंमत्री लाल किले की प्राचीर से नहीं, बल्कि लॉन से राष्ट्र को संबोधित करेंगे। रात 9.30 बजे संबोधन और उनका भाषण समुदायों के बीच शांति और सद्भाव के बारे में होगा। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी की तरफ से राष्ट्रवाद और सिख इतिहास पर एक संदेश देने का प्रयास है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी देश को मुगलों के अत्याचार, सिखों की वीरता के बारे में याद दिलाएंगे।
पीएम मोदी का सिख समाज से भावनात्मक जुड़ाव हमेशा से रहा है। पीएम मोदी ने करतारपुर कॉरिडोर खोलने के फैसले से लेकर तीनों कृषि कानून के वापस लेने के लिए गुरु पर्व का दिन चुना। अब गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व पर लाल किले से देश को संबोधित करने जा रहे हैं।
At 9:15 PM tomorrow, 21st April, l will have the honour of taking part in the 400th Parkash Purab celebrations of Sri Guru Teg Bahadur Ji. The programme will be held at the iconic Red Fort. A commemorative coin and postage stamp will also be released. https://t.co/zmejDPbhJz
— Narendra Modi (@narendramodi) April 20, 2022
क्रांतिकारी युग पुरुष गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म साल 1621 में वैसाख कृष्ण पंचमी को पंजाब के अमृतसर में गुरु हरगोविंद जी के पांचवे पुत्र के रूप में हुआ था। गुरु तेग बहादुर खालसा पंथ शुरू करने वाले दसवें गुरु गोविंद सिंह के पिता भी थे। आठवें गुरु हरिकृष्ण राय जी के निधन के बाद उन्हें 9वां गुरु बनाया गया। उन्होंने आनंदपुर साहिब का निर्माण करवाया। हिंद दी चादर कहे जाने वाले गुरु तेग बहादुर 1665 से 1675 में अपने बलिदान तक सिखों के गुरु रहे। गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब की तमाम कोशिशों के बावजूद भी इस्लाम धर्म धारण नहीं किया। औरंगजेब के इस्लाम कबूल करने के फरमान पर उन्होंने कहा कि शीश कटा सकते हैं लेकिन केश नहीं। जिसके बाद औरंगजेब ने गुरु तेगबहादुर का सिर कलम करवा दिया। बाद में उनके अनुयायियों ने बलिदान स्थल पर गुर तेग बहादुर की याद में गुरुद्वारा बनाया जिसे आज गुरुद्वारा शीशगंज साहब के नाम से जाना जाता है।
वैसे तो देश के प्रधानमंत्री द्वारा आजादी यानी 15 अगस्त की तारीख के दिन लाल किले से संबोधन आम है। लेकिन पीएम मोदी ने साल 2018 में एक नई प्रथा की शुरुआत की थी जब उन्होंने आजाद हिंद फौज के 75 साल पूरे होने के मौके पर अक्टूबर 2018 को लाल किले से देश को संबोधित किया था। बता दें कि 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार की स्थापना की थी जिसे उस समय 11 देशों की सरकारों ने मान्यता दी थी। उस सरकार ने कई देशों में अपने दूतावास भी खोले थे। इसके अलावा आजाद हिंद फौज ने बर्मा की सीमा पर अंग्रेजों के खिलाफ जोरदार लड़ाई लड़ी थी।