जनसंख्या नीति पर एक बार फिर से विचार किया जाना चाहिए – मोहन भागवत

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का आज 96वां स्थापना दिवस है। इस मौके पर नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में परेड का आयोजन हुआ। इस दौरान मंच पर संघ प्रमुख मोहन भागवत मौजूद रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जिस दिन हम स्वतंत्र हुए उस दिन स्वतंत्रता के आनंद के साथ हमने एक अत्यंत दुर्धर वेदना भी अपने मन में अनुभव की वो दर्द अभी तक गया नहीं है। अपने देश का विभाजन हुआ, अत्यंत दुखद इतिहास है वो, परन्तु उस इतिहास के सत्य का सामना करना चाहिए, उसे जानना चाहिए।

समाचार एजेंसी के अनुसार संघ प्रमुख ने कहा कि जिस शत्रुता और अलगाव के कारण विभाजन हुआ उसकी पुनरावृत्ति नहीं करनी है। पुनरावृत्ति टालने के लिए, खोई हुई हमारे अखंडता और एकात्मता को वापस लाने के लिए उस इतिहास को सबको जानना चाहिए। खासकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए। खोया हुआ वापस आ सके खोए हुए बिछड़े हुए वापस गले लगा सकें।

उन्होंने कहा कि विश्व को खोया हुआ संतुलन व परस्पर मैत्री की भावना देने वाला धर्म का प्रभाव ही भारत को प्रभावी करता है। यह ना हो पाए इसीलिए भारत की जनता, इतिहास, संस्कृति इन सबके विरुद्ध असत्य कुत्सित प्रचार करते हुए, विश्व को तथा भारत के जनों को भी भ्रमित करने का काम चल रहा है।

जनसंख्या नीति पर हो विचार

इसी बीच उन्होंने जनसंख्या नीति पर फिर से विचार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि 50 साल आगे तक का विचार कर नीति बनानी चाहिए और उस नीति को सभी पर समान रूप से लागू करना चाहिए, जनसंख्या का असंतुलन देश और दुनिया में एक समस्या बन रही है।

संघ प्रमुख ने कहा कि सीमा पार से अवैध घुसपैठ पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जाए। राष्ट्रीय नागरिक पत्रिका का निर्माण कर इन घुसपैठियों को नागरिकता के अधिकारों से वंचित किया जाए।

उन्होंने कहा कि मंदिरों की ज़मीन बेची गई। मंदिरों की संपत्ति हड़पी जाती है। जिन लोगों को हिंदू देवी देवताओं पर श्रद्धा नहीं है, उनके लिए हिंदू मंदिरों की संपत्ति का इस्तेमाल किया जाता है। हिंदुओं को भी आवश्यकता है, वह संपत्ति उनपर नहीं लगाई जाती है।

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