बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था: पीएम मोदी

ढाका। बांग्लादेश की आजादी को आज (26 मार्च) 50 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष अथिति को तौर पर दो दिवसीय दौरे के लिए बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंचे। बता दें कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के बाद पीएम मोदी का यह पहला विदेश दौरा है। अपनी आजादी के 50 साल पूरे होने पर बांग्लादेश आज के दिन को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मना रहा है, जिसके लिए पीएम मोदी ढाका के नेशनल परेड ग्राउंड पहुंचे हैं। यहां उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान को मरणोपरांत गांधी शांति पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया। पीएम मोदी से यह पुरस्कार लेने के लिए शेख मुजिबूर रहमान की छोटी बेटी शेख रेहाना मंच पर पहुंची थीं। इस दौरान वहां बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भी मौजूद रहीं।

राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम में बंग्लादेश की जनता को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस देश की आजादी के समर्थन में उन्होंने भी अपने दोस्तों के साथ गिरफ्तारी दी थी। पीएम मोदी ने आगे कहा, मैं राष्ट्रपति अब्दुल हामिद, प्रधानमंत्री शेख हसीना और बांग्लादेश के नागरिकों का मैं आभार प्रकट करता हूं। आपने अपने इन गौरवशाली क्षणों में, इस उत्सव में भागीदार बनने के लिए भारत को सप्रेम निमंत्रण दिया। मैं सभी भारतीयों की तरफ से आप सभी को, बांग्लादेश के सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूं। मैं बॉन्गोबौन्धु शेख मुजिबूर रहमान को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने बांग्लादेश और यहाँ के लोगों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया।

पीएम मोदी ने आगे कहा, मैं आज भारतीय सेना के उन वीर जवानों को भी नमन करता हूं जो मुक्तिजुद्धो में बांग्लादेश के भाइयों-बहनों के साथ खड़े हुए। जिन्होंने मुक्तिजुद्धो में अपना लहू दिया, अपना बलिदान दिया, और आज़ाद बांग्लादेश के सपने को साकार करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था… बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था।

संबोधित करते हुए कहा, ये एक सुखद संयोग है कि बांग्लादेश के आजादी के 50 वर्ष और भारत की आजादी के 75 वर्ष का पड़ाव, एक साथ ही आया है। हम दोनों ही देशों के लिए, 21वीं सदी में अगले 25 वर्षों की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमारी विरासत भी साझी है, हमारा विकास भी साझा है। मैं बांग्लादेश के 50 उधमियों को भारत आमंत्रित करना चाहता हूं। वे भारत आए हमारे स्टार्टअप से जुड़े। हम भी उनसे सीखेंगे, उन्हें भी हमसे सीखने का अवसर मिलेगा। मैं बांग्लादेश के युवाओं के लिए सुब्रणों जयंति स्कालरशिप की भी घोषणा करता हूं।

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