देश के हर राज्य में एक AIIMS बने ये मोदी सरकार का लक्ष्य: श्री शाह, कहा- छात्र दूरस्थ इलाकों में लोगों की सेवा करें
ऋषिकेश। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के छात्रों से कहा कि वे अपने पेशे को लोगों की सेवा करने के माध्यम के रूप में देखें खासकर दूर-दराज के इलाकों में जहां स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। संस्थान के दूसरे दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत के तहत जहां प्रत्येक गरीब परिवार को सालाना पांच लाख रुपये का कवरेज मिलता है या जन औषधि केंद्र जहां लोगों को सस्ती दवाएं या मेडिकल उपकरण मिलते हैं, ये सब समाज के सभी वर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजरिए को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री @narendramodi जी ने देश भर में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने के लिए 157 नए मेडिकल कॉलेज और 16 नए AIIMS की शुरुआत की है।
देश के हर राज्य में एक AIIMS बने ये मोदी सरकार का लक्ष्य है। pic.twitter.com/zTKphajzJo
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) March 14, 2020
शाह ने संस्थान के 248 छात्रों को शुभकामना दी जिन्हें डिग्री दी गई और कहा कि यह उनके लिए नयी शुरुआत है, उनके ज्ञान एवं कौशल का प्रयोग दूर-दराज के गांवों के लोगों की सेवा के लिए करने का समय है जिनके पास बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “डॉक्टरों में देश के स्वास्थ्य तंत्र को सुधारने का भाव जरूर होना चाहिए।” उन्होंने छात्रों से यहां अपना शोध कार्य करने और न सिर्फ अपने लिए अच्छा करियर बनाने बल्कि दूर-दराज के गांवों में वंचित लोगों की सेवा के लिए काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह चिकित्सा पेशे का सही लक्ष्य है और स्वामी विवेकानंद का हवाला दिया जिन्होंने वास्तविक ज्ञान खुद से ऊपर उठ कर दूसरों के बारे में सोचने को बताया है।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के शासन में देश भर में मेडिकल अवसंरचना को विस्तार दिया गया जहां उन्होंने 157 नये मेडिकल कॉलेज खोले। साथ ही कहा कि पिछले छह साल में देश भर में 29,000 और एमबीबीएस और 17,000 और स्नातकोत्तर सीटें देश भर में सृजित की गई हैं। उन्होंने कहा, “इस तरह के कदम ज्यादा से ज्यादा डॉक्टर बनाने के मकसद से उठाए गए हैं ताकि हर गांव हर तहसील में एक डॉक्टर हो।” केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने अपने संबोधन में छात्रों से संवेदना का भाव रखने को कहा। उन्होंने कहा कि यह किसी डॉक्टर का सबसे उच्च एवं आवश्यक मूल्य है।