मध्यप्रदेश में न्यायालीन आदेश बाद शराब ठेकेदारों ने लौटाए 5500 करोड़ के ठेके

भोपाल। हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद प्रदेश के 19 जिलों के शराब ठेकेदारों ने करीब 5500 करोड़ रूपए के ठेके सरेंडर कर दिए हैं। अब सरकार या तो इन जिलों की शराब दुकानों की दोबारा नीलामी करेगी या फिर इनका स्वयं संचालन करेगी। अगर सरकार इन जिलों की दुकानों की दोबारा नीलामी करती है तो उसे करीब 1500 से 2000 करोड़ से अधिक के नुकसान का अनुमान है।

गौरतलब है कि गुरूवार को शराब कारोबारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश में शराब ठेकेदारों से दो में से एक विकल्प चुनने के लिए कहा है-जो दो विकल्प शराब ठेकेदारों के सामने रखे गए हैं उनमें से एक के तहत वो नई शराब नीति को मंजूर कर सकते हैं वहीं दूसरे विकल्प के तौर पर वो नई शराब नीति पर ऐतराज जता सकते हैं। हाईकोर्ट ने शराब ठेकेदारों के सामने दो विकल्प रखते हुए साफ कहा है कि जिन ठेकेदारों को नई शराब नीति मंजूर है वो तीन दिन के अंदर अपना शपथ पत्र दें और जिन ठेकेदारों को नई शराब नीति मंजूर नहीं है उन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी। हाईकोर्ट के इसी निर्देश के बाद ठेकेदारों ने अपने ठेके सरेंडर करना शुरू कर दिया है।

4 हजार से ऊपर नहीं जाएगा ठेका

शराब ठेकदारों का कहना है कि जिन 19 जिलों में हमने 5500 करोड़ रूपए में ठेका लिया था, अगर सरकार वहां दोबारा नीलामी करवाती है तो वह 3500 से 4000 करोड़ रूपए तक ही पहुंच पाएगा। ऐसे में सरकार को 1500 से 2000 करोड़ से अधिक के नुकसान होगा।

इन जिलों में लौटाए ठेके

शराब कारोबारियों ने जिन जिलों में शराब के ठेके लौटाए हैं वे हैं-भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, बैतूल, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, मंदसौर, उज्जैन, रीवा, सतना, शहडोल, बालाघाट, कटनी, सागर, बुरहानपुर और देवास।

रायसेन और होशंगाबाद के अफसरों ने रखा मान

जहां 19 जिलों के अफसर शराब ठेकेदारों को संशोधित शराब नीति को अपनाने के लिए राजी नहीं कर पाए, वहीं रायसेन और होशंगाबाद के अफसरों ने अपने जिले के शराब कारोबारियों को सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए मना लिया। इसी का परिणाम है कि इन जिलों के अफसरों ने अपनी दुकानें सरेंडर नहीं की है।

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