208 शिक्षाविदों के बाद अब 154 प्रबुद्ध हस्तियों ने की राष्ट्रपति से अपील, CAA के खिलाफ हिंसा करने वालों पर हो एक्शन
नई दिल्ली। देश के कई हिस्सों में अभी भी नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का विरोध जारी है। हालांकि मोदी सरकार ने फैसला किया है कि वह इन पर एक कदम भी पीछे नहीं हटेगी, लेकिन विपक्षी दल भी पूरा जोर लगा रहे हैं। इस बीच, देश के 154 प्रबुद्ध नागरिकों ने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से CAA व NRC के विरोध के नाम पर हिंसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं को सुरक्षा प्रदान करने की अपील की है।
A delegation comprising retired bureaucrats and judges, former army officers, intelligentsia called on President Kovind at Rashtrapati Bhavan pic.twitter.com/2ddS8W7zfi
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 24, 2020
अपील करने वालों में शीर्ष सरकारी एवं संवैधानिक पदों से रिटायर्ड, बुद्धिजीवी आदि शामिल हैं। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के अध्यक्ष और सिक्किम हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक तत्व प्रदर्शनकारियों को शरण दे रहे हैं और इस अशांति का बाहरी आयाम भी है।
प्रतिनिधि मंडल चाहता है कि केंद्र पूरी गंभीरता से इस मामले पर गौर करे और देश के लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा करे एवं ऐसी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करे। CAA भारतीय नागरिकों पर कोई असर नहीं डालता, इसलिए नागरिकों के अधिकारों और आजादी पर खलल डालने का दावा सही नहीं ठहरता। इससे पहले इसी महीने के मध्य में कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों समेत 208 शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश में बिगड़ते अकादमिक माहौल के लिए वामपंथी कार्यकर्ताओं के एक छोटे समूह को जिम्मेदार ठहराया था।
द्वेषपूर्ण माहौल पैदा करने के लिए कुछ संगठनों की समाज में विभाजन पैदा करने की हरकत से हम चिंतिंत है। आंदोलन शांतिपूर्ण रहने पर किसी को असुविधा और एतराज नहीं होता। प्रतिनिधि मंडल ने उच्च न्यायालयों के 11 पूर्व न्यायाधीश, आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और पूर्व राजनयिक समेत 72 पूर्व नौकरशाहों, 56 शीर्ष पूर्व रक्षा अधिकारियों, बुद्धिजीवियों, अकादमिक विद्वानों और चिकित्सा पेशेवरों के हस्ताक्षर से युक्त ज्ञापन सौंपा।