लॉकडाउन के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने कोरोना संकट में दी राहत , लोन-EMI पर तीन महीने की छूट, आसान भाषा में समझें-जानें और लाभ
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन के बीच अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी बीच रिजर्व बैंक ने भी जनता को राहत के दरवाजे खोल दिए हैं। RBI ने के मुताबिक रेपो रेट में 75 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है। इस कटौती के बाद रेपो रेट 5.15 से घटकर 4.45 फीसदी पर आ गई है। RBI ने रिवर्स रेपो रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की कटौती, 4.9 से घटकर 4 हुआ। अब आप ये बताओं कि इससे आपने क्या समझा? आर्थिक जगत के जो विद्वान हैं उनकी बात अलग है, लेकिन आम जनता को रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट, बेसिस प्वाइंट जैसी शब्दें कम ही समझ आती है। इसलिए आज आपको आसान भाषा में RBI के इस घोषणा को समझाएंगे। साथ ही इससे मध्यमवर्गीय तबके को क्या राहत मिलेगी ये भी बताएंगे।
रिजर्व बैंक के आप बोलचाल की भाषा में समझें तो वो देश के सभी बैंकों का प्रधानमंत्री है। देश में जितने भी सरकारी या गैर-सरकारी बैंक हैं इनकी निगरानी करना रिजर्व बैंक का काम है। रिजर्व बैंक एक पॉलिसी बनाकर इन बैकों को देती है जिसके आधार पर बैंकों को अपना काम करना होता है।
Appreciate @RBI @DasShaktikanta’s reassuring words on financial stability. The 3 month moratorium on payments of term loan instalments (EMI) & interest on working capital give much-desired relief. Slashed interest rate needs quick transmission. #IndiaFightsCoronavirus
— Nirmala Sitharaman (Modi Ka Parivar) (@nsitharaman) March 27, 2020
रिजर्व बैंक का काम होता है नीतिगत दरों पर फैसला करना। नीतिगत दर जिनके आधार पर रिजर्व बैंक और दूसरे कमर्शिल बैंकों के बीच लेन-देन होता है। बाकी सारे बैंक लोन लेते हैं रिजर्व बैंक से कम समय के लिए। वो लोन जिस दर पर लिया जाता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो मतलब रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को कितने ब्याज पर पैसा दे रहा है।
Today @RBI has taken giant steps to safeguard our economy from the impact of the Coronavirus. The announcements will improve liquidity, reduce cost of funds, help middle class and businesses. https://t.co/pgYOUBQtNl
— Narendra Modi (@narendramodi) March 27, 2020
इससे उलट जब बैंक को अपना पैसा रिजर्व बैंक में जमा करना होता है तो उसे ब्याज मिलता है। ब्याज की इस दर को कहा जाता है रिवर्स रेपो रेट। रिवर्स रेपो रेट मतलब वो दूसरे बैंक अपना पैसा रिजर्व बैंक में जमा कर रहे हैं तो उनको कितना ब्याज मिल रहा है।
लोन लेने के लिए बैंको को रिजर्व बैंक के पास सरकारी बांड गिरवी रखनी होती है। ये लोन जिस ब्याज रेट पर मिलता है उसे रेपो रेट कहते हैं। आपके लिए अच्छा तब रहेगा जब बैंको को कम ब्याज दर पर लोन मिले । रेपो रेट जितना कम उतना देश की आम जनता को फायदा होता है। यानी बैंक आपसे भी कम ब्याज लेगा। लोन सस्ते होंगे और अच्छी स्कीम होगी। जिनके लोन पहले से चल रहे हैं उन्हें भी राहत मिलेगी क्योंकि उन्हें महीने की किस्त कम देनी पड़ेगी। लॉकडाउन की वजह से नए कर्ज लेने वालों की संख्या बढ़ने के आसार तो नहीं हैं। लेकिन, रेपो रेट से जुड़े कर्ज वाले मौजूदा ग्राहकों की ईएमआई कम हो जाएगी।
कोरोना आपदा की गम्भीरता को देखते हुए रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया @RBI ने देश और देशवासियों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
1-रेपो रेट में 0.75 (BP) कमी से सभी कर्ज सस्ते होंगे।
2. टर्म लोन की किश्त चुकाने में तीन महीने की छूट मिलने से ग्राहकों और बैंकों को राहत मिलेगी।1/3
— Office of Mr. Anurag Thakur (@Anurag_Office) March 27, 2020
रिवर्स रेपो रेट यानी जिस ब्याज दर पर बैंक अपना पैसा रिजर्व बैंक में जमा करते हैं। ऐसे में रिवर्स रेपो रेट ज्यादा होने पर बैंक ज्यादा मुनाफे के लिए अपना पैसा रिजर्व बैंक में रखने लगेंगे ब्याज के लिए। फिर जनता को कम पैसे मिलेंगे। इसलिए रिवर्स रेपो रेट का बैलेंस में रहना ज्यादा जरूरी है। रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट 4 रखा है।
वर्किंग कैपिटल लोन वह कर्ज होता है, जिसे कंपनियां अपने हर दिन के लिए खर्च के लिए लेती हैं। आरबीआई ने बैंकों को इजाजत दे दी है कि वह अगले तीन महीने यानी जून 2020 तक वर्किंग कैपिटल लोन पर ब्याज न वसूलें।
RBI Governor @DasShaktikanta message on safety measures during difficult times!
Pay digital, stay safe!#rbitoday #rbigovernor #COVID19#IndiaFightsCoronavirus#StayCleanStaySafeGoDigital pic.twitter.com/MEe68lr5kc— ReserveBankOfIndia (@RBI) March 27, 2020
सभी कमर्शियल, रीजनल, रूरल, एनबीएफसी और स्मॉल फाइनेंस बैंकों को सभी तरह के टर्म लोन की ईएमआई वसूलने से रोक दिया गया है। ग्राहक खुद चाहें तो भुगतान कर सकते हैं, बैंक दबाव नहीं डालेंगे। मतलब अगले तीन महीने तक ऐसे किसी भी व्यक्ति के खाते से किश्त नहीं कटेगी, जिन्होंने कर्ज ले रखा है। इससे आपके क्रेडिट स्कोर पर भी असर नहीं पड़ेगा। तीन महीने तक लोन की किश्त नहीं चुका पाएंगे तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा।
FM @nsitharaman address media in the press conference along with RBI Governor @DasShaktikanta and MoS @Anurag_Office, board members after the 582nd Central Board Meeting of @RBI #rbi #rbigovernor #rbitoday pic.twitter.com/0pUFL3iPHh
— ReserveBankOfIndia (@RBI) February 15, 2020
बहरहाल, RBI के ऐलान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को कोरोनावायरस के असर से बचाने के लिए RBI ने बड़े कदम उठाए हैं। इन फैसलों से नकदी बढ़ेगी, कर्ज सस्ते होंगे। इससे मिडिल क्लास और कारोबारियों को मदद मिलेगी।