भारतीय नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को लेकर पाकिस्तान को लगी मिर्ची! बयान जारी कर जताया एतराज
इस्लामाबाद। सोमवार देर रात लोकसभा में 7 घंटे की गहमा-गहमी के बाद 80 के मुकाबले 311 मतों से नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को मंजूरी दे दी गई। इसमेंं पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए उन गैर-मुसलमानों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीडऩ का सामना करना पड़ा हो। उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा।
गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पेश करते हुए यह साफ किया था कि PM नरेंद्र मोदी की सरकार में किसी भी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से उन अल्पसंख्यकों को राहत मिलेगी जो पड़ोसी देशों में अत्याचार के शिकार हैं। भारत के हर कदम की आलोचना करने वाले पाकिस्तान ने इस बात पर भी एतराज जताया है।
पाकिस्तान ने विधेयक को पक्षपातपूर्ण ठहराते हुए इसे नई दिल्ली का पड़ोसी देशों के मामलों में दखल का दुर्भावनापूर्ण इरादा बताया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि हम इस विधेयक की निंदा करते हैं। यह भेदभावपूर्ण है और सभी संबद्ध अंतरराष्ट्रीय संधियों और मानदंडों का उल्लंघन करता है।
ہم بھارتی لوک سبھا کی جانب سے "قانون شہریت" کی شدید مذمت کرتے ہیں جو عالمی انسانی حقوق سے یکسر متصادم اور پاکستان کے ساتھ دوطرفہ معاہدوں کے خلاف ہے۔ یہ "ہندو راشٹرا" کے توسیع پسندانہ منصوبے کا حصہ ہے، فاشسٹ مودی سرکار جس کا علم اٹھائے ہوئے ہے۔ https://t.co/032dVtneRl
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) December 10, 2019
यह पड़ोसी देशों में दखल का भारत का दुर्भावनापूर्ण प्रयास है। इस कानून का आधार झूठ है और यह धर्म या आस्था के आधार पर भेदभाव को हर रूप में खत्म करने संबंधी मानवाधिकारों की वैश्विक संकल्पों और अन्य अंतरराष्ट्रीय संधियों का पूरी तरह से उल्लंघन करता है।
यह विधेयक क्षेत्र में कट्टरपंथी हिंदुत्व विचारधारा और प्रभावी वर्ग की महत्वकांक्षाओं का मेल है और धर्म के आधार पर पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में दखल का इरादा जाहिर होता है। पाकिस्तान इसे पूरी तरह से नकारता है। भारत का यह दावा भी झूठा है जिसमें वह खुद को उन अल्पसंख्यकों का घर बताता है जिन्हें पड़ोसी देशों में कथित तौर पर उत्पीडऩ का सामना करना पड़ रहा है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने विधेयक को RSS के हिंदू राष्ट्र की अवधारणा की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम करार दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि यह बिल अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों और पाकिस्तान के साथ हुए द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है।