नागरिकता संशोधन विधेयक पर USCIRF के बयान की विदेश मंत्रालय ने की निंदा, कहा- यह उसका अधिकार क्षेत्र नहीं
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक पर अमेरिकी संघीय आयोग की आलोचनात्मक टिप्पणी को सही नहीं बताते हुए भारत ने मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी संस्था ने उस विषय पर अपने पूर्वाग्रह से निर्देशित होने का रास्ता चुना जिस पर उसका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिये अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने सोमवार को जारी बयान में आरोप लगाया कि प्रवासियों के लिये नागरिकता सुनिश्चित करने वाला नागरिकता (संशोधन) विधेयक खास तौर पर मुसलमानों को इससे बाहर रखता है और धर्म के आधार पर नागरिकता के लिये एक कानूनी मानदंड स्थापित करता है।
We regret the inaccurate and unwarranted comments made by USCIRF on #CAB. They have chosen to be guided by their prejudices and biases on a matter on which they have little knowledge and no locus standi.
Read our full statement below ⬇️ pic.twitter.com/BLajy03MtZ
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) December 10, 2019
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि विधेयक पर यूएससीआईआरएफ का बयान न तो सही है न ही वांछित। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक और NRC किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक से उसकी नागरिकता नहीं छीनता है। कुमार ने कहा कि यूएससीआईआरएफ द्वारा अपनाया गया रुख उसके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए चौंकाने वाला नहीं है। हालांकि यह खेदपूर्ण है कि उस मामले में संस्था ने अपने पूर्वाग्रह और पक्षपातपूर्ण रवैये से निर्देशित होना चुना जिस पर उसका ज्ञान बेहद सीमित है तथा जिस पर उसका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
लोकसभा ने सोमवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना का सामना कर भारत आने वाले गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता उपलब्ध कराने का प्रावधान है।