भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) समझौता में PM मोदी का सख्त रुख!, नहीं बनेगा भारत हिस्सा, जानें क्या है वजह
नई दिल्ली। RCEP भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता में शामिल नहीं होगा। सूत्रों की मानें भारत ने भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) समझौते में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है। PM मोदी ने भारत की प्रमुख चिंताओं को लेकर समझौता नहीं करने का फैसला किया है। भारत के हितों से किसी भी तरह के समझौता नहीं होगा।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि मौजूदा हालात में भारत का मानना है कि उसका आरसीईपी में शामिल होना उचित नहीं होगा। मंत्रालय ने यह भी कहा कि अनसुलझे मुद्दों के कारण भारत का क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है। साथ ही आरसीईपी में शामिल नहीं होने का निर्णय राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर लिया गया है।
प्रमुख मुद्दों के सुलझने तक क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) समझौते में शामिल नहीं होगा भारत#RCEPSummit pic.twitter.com/s3CZlByDHj
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) November 4, 2019
RCEP वार्ताओं में भारत की चिंताओं को दूर नहीं किया जा सका है। इसके मद्देनजर भारत ने यह फैसला किया है। सूत्रों ने कहा कि आरसीईपी में भारत का रुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और दुनिया में भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है। भारत के इस फैसले से भारतीय किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) और डेयरी क्षेत्र को बड़ी मदद मिलेगी।
सूत्रों ने कहा कि इस मंच पर भारत का रुख काफी व्यावहारिक रहा है। भारत ने जहां गरीबों के हितों के संरक्षण की बात की वहीं देश के सेवा क्षेत्र को लाभ की स्थिति देने का भी प्रयास किया। सूत्रों ने बताया कि भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक प्रतिस्पर्धा को खोलने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। इसके साथ ही मजबूती से यह बात रखी कि इसका जो भी नतीजा आए वह सभी देशों और सभी क्षेत्रों के अनुकूल हो।
RCEP में दस आसियान देश और उनके छह मुक्त व्यापार भागीदार चीन, भारत, जापान, दक्षिण, कोरिया, भारत, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। RCEP करार का मकसद दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाना है। 16 देशों के इस समूह की आबादी 3.6 अरब है। यह दुनिया की करीब आधी आबादी है।
शनिवार को हुई बैठक में 16 RCEP देशों के व्यापार मंत्री भारत द्वारा उठाए गए लंबित मुद्दों को हल करने में विफल रहे थे। हालांकि, आसियन शिखर बैठक से अलग कुछ लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए पर्दे के पीछे बातचीत जारी थी।