दीपावली 2021 : पांच दिनी दीपोत्सव का प्रारंभ 2 नवंबर से, जानिए विस्तार से

नई दिल्ली। कार्तिक माह त्योहारों-पर्वो वाला माह होता है। इसमें धन त्रयोदशी से यम द्वितीया तक पांच दिनी दीपोत्सव मनाया जाता है जिसका प्रारंभ 2 नवंबर 2021 मंगलवार से हो रहा है। पहले दिन 2 नवंबर को धन त्रयोदशी, इसी दिन सायंकाल में यम के लिए दीपदान होगा, 3 नवंबर को नरकहरा या रूप चतुर्दशी मनाई जाएगी। चूंकिचतुर्दशी तिथि 2 और 3 नवंबर के किसी भी सूर्योदय को स्पर्श नहीं कर रही है इसलिए चतुर्दशी का क्षय माना जाएगा। इस कारण चतुर्दशी को किया जाने वाला अभ्यंग स्नान 4 नवंबर को दीपावली के प्रात: में किया जाएगा। 4 नवंबर को सायंकाल में धन लक्ष्मी, कुबेर आदि का पूजन किया जाएगा। 5 नवंबर को गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा और 6 नवंबर को यम द्वितीया, भाई दूज मनाई जाएगी। इस प्रकार पांच दिनी दीपोत्सव का समापन 6 नवंबर को होगा।

धनतेरस पर योग : 2 नवंबर मंगलवार को धनतेरस पर भगवान धनवंतरि के साथ लक्ष्मी-कुबेर का पूजन होगा। इस दिन त्रयोदशी तिथि प्रात: 11.32 बजे से प्रारंभ होगी। हस्त नक्षत्र 11.43 बजे से प्रारंभ होगा। वैधृति योग और तैतिल करण के साथ मंगलवार का योग होने से यह दिन स्थाई संपत्ति बढ़ाने वाला है। चूंकि इस बार चतुर्दशी तिथि का क्षय हो रहा है, इसलिए यम के निमित्त चतुर्दशी को किया जाने वाला दीपदान भी इसी रात्रि में होगा।

नरक चतुर्दशी पर योग : इस बार चतुर्दशी तिथि का क्षय हो गया है। क्योंकि चतुर्दशी तिथि 3 नवंबर को सूर्योदय बाद प्रात: 9.03 बजे से प्रारंभ होकर दूसरे दिन सूर्योदय पूर्व 5.04 बजे ही समाप्त हो जाएगी। चूंकि चतुर्दशी तिथि किसी भी दिन के सूर्योदय को स्पर्श नहीं कर रही है इसलिए इसका क्षय हो गया है। फिर भी 3 नवंबर को दिनभर चतुर्दशी तिथि रहेगी इसलिए नरक चतुर्दशी के निमित्त किए जाने वाले पूजन- कर्म आदि 3 नवंबर को ही किए जाएंगे। हालांकि इस दिन प्रात: 9.03 से सायं 7.33 बजे तक भद्रा रहेगी।

लक्ष्मी पूजन : 4 नवंबर गुरुवार को दीपोत्सव का सबसे महत्वपूर्ण दिन दीपावली मनाया जाएगा। इस दिन लक्ष्मी पूजन होगा। 4 नवंबर को सायंकाल प्रदोषकाल अथवा अन्य शुभ मुहूर्त में गणेश, लक्ष्मी, कुबेर, महाकाली, महासरस्वती का पूजन होगा। इस दिन प्रदोष काल सायं 5.43 से 8.18 बजे तक रहेगा। इस समय में लक्ष्मी पूजन सर्वश्रेष्ठ होगा। इस दिन चित्रा-स्वाति नक्षत्र और प्रीति योग में पूजन करना अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति करवाएगा।

गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव : गिरिराज और गो-धन के पूजन का पर्व 5 नवंबर शुक्रवार को मनाया जाएगा। इसकी परंपरा भगवान श्रीकृष्ण ने प्रारंभ करवाई थी। इस दिन दिन गायों को धन मानते हुए उनके सजाया-संवारा जाता है और उनकी पूजा की जाती है। ग्रामीण घरों में इस दिन प्रकीतात्मक रूप में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है और उसकी परिक्रमा की जाती है। इस दिन अन्नकूट महोत्सव भी मनाया जाता है।

भाई दूज, यम द्वितीया, चंद्र दर्शन : 6 नवंबर शनिवार को भाई दूज, यम द्वितीया मनाई जाएगी। इस दिन विश्वकर्मा पूजा भी की जाती है। पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व का समापन इसी दिन होगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों को भोजन करवाकर उन्हें तिलक करती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती है। भाई बहनों को उपहार देते हैं।

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