महात्मा गांधी ‘‘सर्वश्रेष्ठ शिक्षक’’ और ‘‘प्रेरणा का स्रोत’’ थे जो दुनिया भर में लाखों लोगों को अब भी साहस दे रहे हैं : प्रधानमंत्री मोदी

न्यूयार्क। PM नरेंद्र मोदी ने बुधवार को महात्मा गांधी को उनकी 150वीं जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें ‘‘सर्वश्रेष्ठ शिक्षक’’ और ‘‘प्रेरणा का स्रोत’’ बताया, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को अब भी साहस दे रहे हैं। महात्मा गांधी की जयंती पर ‘‘न्यूयॉर्क टाइम्स’’ समाचार पत्र में प्रकाशित एक आलेख में प्रधानमंत्री ने शांति के दूत द्वारा पेश आदर्शों की चर्चा की है जिन्होंने मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला जैसे दिग्गज नेताओं को प्रेरित किया। मोदी ने अपने आलेख में लिखा कि महान आत्मा मोहनदास करमचंद गांधी की प्रेरणा से डॉ किंग भारत आए। बुधवार को हम उनकी 150 वीं जयंती मना रहे हैं। गांधी जी या बापू दुनिया भर में लाखों लोगों को अब भी साहस दे रहे हैं।

भारत और विश्व को क्यों है गांधी की जरूरत शीर्षक वाले इस आलेख में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रवाद के बारे में गांधी के दृष्टिकोण का विस्तार से जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि महात्मा गांधी ने ऐसे भारतीय राष्ट्रवाद की परिकल्पना की थी जो संकीर्ण नहीं था बल्कि मानवता की सेवा के लिए काम करने वाला था। मोदी ने कहा कि मानव समाज के कुछ सबसे बड़े विरोधाभासों के बीच कड़ी बनने की महात्मा गांधी के पास ‘‘अद्वितीय क्षमता’’ थी और वह समाज के सभी वर्गों के बीच विश्वास के प्रतीक थे। मोदी ने चरखा और खादी जैसी सामान्य वस्तुओं को लोक राजनीति के साथ जोड़ने के लिए भी महात्मा गांधी की सराहना की और कहा कि उन्हें कभी भी सत्ता का मोह नहीं था।

उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता और सशक्तीकरण के प्रतीक के रूप में चरखा, खादी और भारतीय कपड़े का इस्तेमाल कौन कर सकता था? मोदी ने लिखा कि एक चुटकी नमक के माध्यम से उनके अलावा कौन एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकता था!… 1930 में दांडी मार्च के माध्यम से, महात्मा गांधी ने नमक कानूनों को चुनौती दी। अरब सागर के तट से मुट्ठी भर प्राकृतिक नमक उठाकर ऐतिहासिक सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में कई जन आंदोलन हुए हैं, भारत में भी स्वतंत्रता संग्राम के कई तरीके हैं लेकिन गांधीवादी संघर्ष और उनके द्वारा प्रेरित लोगों को जो अलग करता है, वह व्यापक जन भागीदारी है। वह कभी भी प्रशासनिक या निर्वाचित पद पर नहीं रहे। उन्हें कभी सत्ता का मोह नहीं रहा।

प्रधानमंत्री लिखते हैं कि महात्मा गांधी के लिए आजादी बाहरी शासन से मुक्ति ही नहीं थी बल्कि राजनीतिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत सशक्तिकरण के बीच एक गहरी कड़ी थी। श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने एक ऐसी दुनिया की परिकल्पना की जहां हर नागरिक की गरिमा और समृद्धि हो… गांधी ने हमें ट्रस्टीशिप का सिद्धांत दिया, जिसने गरीबों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण पर जोर दिया। इससे प्रेरित होकर, हमें स्वामित्व की भावना के बारे में सोचना चाहिए। पृथ्वी के उत्तराधिकारी के रूप में हम इसके कल्याण के लिए जिम्मेदार हैं, जिसमें वनस्पति और जीव भी शामिल हैं…।

श्री मोदी ने लिखा कि मार्गदर्शन करने के लिए हमारे पास महात्मा गांधी के रूप में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं। मानवता में विश्वास रखने वालों को एकजुट करने से लेकर स्थायी विकास को आगे बढ़ाने और आर्थिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए गांधी हर समस्या का समाधान पेश करते हैं। मोदी ने यह भी जिक्र किया कि किस प्रकार उनकी सरकार महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रही है तथा दुनिया के साथ व दुनिया के लिए और भी अधिक कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हम भारत में अपना काम कर रहे हैं। गरीबी को दूर करने के मामले में भारत सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमारे स्वच्छता प्रयासों ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है। भारत अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे प्रयासों के माध्यम से नवीकरणीय संसाधनों का दोहन करने में भी अग्रणी हैं।

उन्होंने इस आलेख में वैज्ञानिक आइंस्टीन की प्रसिद्ध उक्ति का भी जिक्र किया है कि आने वाली पीढिय़ों को विश्वास ही नहीं होगा कि इस धरती पर हाड़-मांस का ऐसा कोई व्यक्ति कभी पैदा हुआ था। उन्होंने अपने आलेख के अंत में दुनिया से नफरत, हिंसा और पीड़ा को समाप्त करने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का आह्वान किया।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

इसे भी देखें