कोरोना संकट के कारण रोजी-रोटी पर मड़राया खतरा, लोगों को गंवानी पड़ रही नौकरी, जून तक जा सकती है 70 लाख लोगों की नौकरी
न्यूज़ डेस्क। इस समय पूरा विश्व कोरोना वायरस से जूझ रहा है। इस कोरोना वायरस संकट ने अर्थव्यवस्था पर भारी चोट पहुंचाई है। कोरोना वायरस के कारण लोगों के कारोबार चौपट हो गए है। इस स्थिति में अब लोगों की नौकरियां भी जा रही है। आने वाले दिनों में बेरोजगारी का आंकड़ा बढ़ सकता है। इस वायरस के ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में तबाही मचा रखी है। मामला लगातार बढ़ता जा रहा है। लॉक डाउन की वजह से स्थितियां और बिगड़ गई है। नौकरी पेशा लोगों के सामने नौकरी बचाने की सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं, कंपनी कम खर्च में ज्यादा फायदा जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। कोरोना संकट ने मानवता के समक्ष रोजी-रोटी की बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है जिससे हर कोई निपटने में डगमगाता दिख रहा है।
इस कोरोना संकट के कारण हर क्षेत्र से लोगों की नौकरियां जा रही है अगर बात मीडिया और मनोरंजन जगत से करें तो यहां कोरोना वायरस से पहले लगभग 60 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते थे लेकिन अब स्थिति यह हो गई है कि लगभग 70 लाख लोगों की नौकरी जून तक जा सकती है। पर ऐसा नहीं है कि हालात यही थम जाएंगे बल्कि और भी बुरे हो सकते हैं। फिलहाल मीडिया इंडस्ट्री को विज्ञापन नहीं मिल पाने से काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा हालात प्रिंट मीडिया के खराब है जहां लगातार नौकरियां जा रही है। ऑटो मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में कोरोना संकट से पहले लगभग 50 लाख लोग काम करते थे लेकिन अब इस कोरोना संकट के कारण 20 से 30 लाख लोगों की नौकरी जा सकती है। अगर डिमांड कम रहता है तो नौकरियों के जाने का खतरा बरकरार रहेगा। इस फील्ड में काम करने वाले लगभग 55 फ़ीसदी कर्मी कॉन्ट्रैक्ट बेस पर होते हैं। ऐसे में उन्हें आसानी से हटाया जा सकता है।
इस कोरोना संकट काल में यह कहा जा रहा है कि इंटरनेट का क्षेत्र बहुत ही फायदे में है लेकिन इंटरनेट बिजनेस में भी नौकरियां जा रही हैं। कोरोना से पहले लगभग 4 लाख कर्मचारी इस क्षेत्र में काम करते थे लेकिन संकट के कारण अब वहां पर लगभग 1 लाख लोगों की नौकरी जा सकती है। इसका कारण कम डिमांड और कम फंडिंग हो सकता है। हाल फिलहाल में ही ओला ने अपने 5000 लोगों को नौकरी से निकाल दिया है। अगर बात ऑटो डीलरशिप की करें तो यहां भी रोजी-रोटी पर बड़ा संकट सामने आया है। कोरोना काल से पहले लगभग 40 लाख लोग इस क्षेत्र में काम करते थे लेकिन अभी तक 2 लाख लोगों की नौकरी जा चुकी है। अगर बिक्री में गिरावट जारी रहती है तो नौकरी पर खतरा बरकरार रहेगा।
अगर हम कहें कि कोरोना का सबसे ज्यादा असर रेस्तरां और ट्रैवल और टूरिज्म के क्षेत्रों पर पड़ा है तो इसमें कोई दो राय नहीं है। रेस्तरां के क्षेत्र में कोरोना काल से पहले लगभग 73 लाख कर्मचारी काम करते थे लेकिन अब तक 20 लाख लोगों की नौकरी जा चुकी है। 10 में से 4 रेस्तरां की स्थिति तो ऐसी हो गई है कि वह अब कभी नहीं खुल पाएंगे। इस क्षेत्र को आने वाले समय में भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कोरोना के कारण कई महीनों तक लोग अब बाहर खाना नहीं चाहेंगे। वहीं, ट्रेवल और टूरिज्म में क्षेत्र में लगभग 5.30 करोड़ लोग काम करते थे लेकिन इस संकट के कारण अब तक 3.8 करोड़ लोगों की नौकरी जा सकती हैं। इस क्षेत्र को फिलहाल खुलने की उम्मीद भी नहीं है।
रियल एस्टेट सेक्टर पर भी कोरोना वायरस का मार पड़ा है। इस क्षेत्र में कोरोना संकट से पहले लगभग 7 करोड लोग काम करते थे लेकिन अभी तक के 1.40 करोड़ लोगों की नौकरी जा चुकी है। स्थिति और भी भयानक हो सकती है क्योंकि मध्यमवर्गीय परिवार फिलहाल घर खरीदना टाल सकता है क्योंकि उसके आमदनी में कमी आई है। मजदूरों के पलायन के कारण भी इस क्षेत्र को भीरी मार पड़ा है। स्टील उद्योग भी नुकसान में है। कोरोना वायरस से पहले लगभग 20 लाख कर्मचारी यहां काम करते थे लेकिन अब तक के 2 लाख से 2 लाख 40 हजार लोगों की नौकरी जा चुकी है। अभी और भी नौकरिया जाने का खतरा बरकरार है। मोबाइल सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में भी कोरोना का असर व्यापक रूप से पड़ा है। इस क्षेत्र में कोरोनावायरस से पहले 20 लाख लोग काम करते थे लेकिन अब तक के 70000 लोगों की नौकरी जा चुकी ।है हैंडसेट की डिमांड कम होती है तो नौकरी जाने का खतरा बरकरार रहेगा।
हालांकि इन सबके बीच कोरोना संकटकाल में कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां आने वाले समय में नौकरियों की व्यापक संभावनाएं बन रही हैं। आईटी क्षेत्र आने वाले दिनों में 60000 नौकरी दे सकता है। एजुकेशन टेक्नोलॉजी के मामले में भी 50 फ़ीसदी लोगों को और मौके दिए जा सकते हैं। वहीं बैंकिंग और फाइनेंस के क्षेत्र में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी मिल सकती है।